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26 जनवरी परेड पर सरकार खर्च करती है इतना पैसा! टिकट से कमाई का आंकड़ा जानकर रह जाएंगे हैरान

क्या आप जानते हैं कि इस साल की गणतंत्र दिवस परेड का विषय क्या है? या इंडोनेशिया के राष्ट्रपति क्यों होंगे मुख्य अतिथि? पढ़ें कैसे 600 घंटे की प्रैक्टिस और करोड़ों का खर्च इस भव्य आयोजन को खास बनाता है!

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26 जनवरी परेड पर सरकार खर्च करती है इतना पैसा! टिकट से कमाई का आंकड़ा जानकर रह जाएंगे हैरान

भारत 26 जनवरी 2025 को अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और उल्लास का प्रतीक है। 1950 में इसी दिन भारत ने संविधान को अपनाया और खुद को एक गणराज्य के रूप में स्थापित किया। हर साल गणतंत्र दिवस को भव्य परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष की परेड का मुख्य विषय ‘स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास’ है, जो देश की सांस्कृतिक धरोहर और विकास की गाथा को उजागर करेगा।

यह भव्य आयोजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कर्त्तव्य पथ (पहले राजपथ) पर सुबह 9:30 बजे शुरू होगा। परेड की शुरुआत राष्ट्रपति भवन के पास रायसीना हिल से होगी, जो कर्त्तव्य पथ, इंडिया गेट से गुजरते हुए लाल किले तक पहुंचेगी।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति होंगे मुख्य अतिथि

गणतंत्र दिवस पर परंपरागत रूप से किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। इस साल यह सम्मान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो को दिया गया है। भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं, और यह आमंत्रण दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा।

600 घंटे की कड़ी प्रेक्टिस से तैयार होती है परेड

गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन देश के सबसे बड़े और भव्य आयोजनों में से एक है। इसकी तैयारी एक साल पहले ही जुलाई में शुरू हो जाती है। इस आयोजन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को केंद्र सरकार के माध्यम से उनकी भूमिकाओं की जानकारी दी जाती है। परेड की परफेक्शन को सुनिश्चित करने के लिए हर प्रतिभागी लगभग 600 घंटे की कड़ी प्रेक्टिस करता है।

परेड से कमाई

गणतंत्र दिवस परेड देखने के इच्छुक लोगों के लिए रक्षा मंत्रालय ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से टिकट उपलब्ध कराता है। इस आयोजन से सरकार को बड़ी आय होती है।

एक आरटीआई के अनुसार, 1999 में टिकट बिक्री से ₹10 लाख 45 हजार 720 की आय हुई थी, जो 2008 में बढ़कर ₹17 लाख 63 हजार 021 हो गई। वहीं, 2018-2020 के बीच औसतन ₹34 लाख रुपये की आय केवल टिकटों की बिक्री से हुई।

यह दर्शाता है कि इस आयोजन के प्रति जनता का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। डिजिटल माध्यमों से टिकट बुकिंग के कारण अब यह प्रक्रिया और भी सरल और सुलभ हो गई है।

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आयोजन पर कितना खर्च?

परेड और समारोहों के आयोजन पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में डिफेंस डिपार्टमेंट के समारोह प्रभाग को 1 करोड़ 32 लाख 53 हजार रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि, परेड और अन्य आयोजनों पर होने वाले कुल खर्च की सटीक जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है।

इन आंकड़ों के बावजूद, यह स्पष्ट है कि गणतंत्र दिवस का आयोजन न केवल देश के गौरव का प्रतीक है, बल्कि इसकी भव्यता आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

परेड का थीम: ‘स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास’

इस वर्ष की परेड का मुख्य आकर्षण इसका थीम होगा, जो ‘स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास’ पर आधारित है। इसमें झांकियों और प्रदर्शनों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक धरोहर और आधुनिक विकास की कहानी को प्रस्तुत किया जाएगा।

झांकियों में देश के विभिन्न राज्यों, मंत्रालयों और विभागों की उपलब्धियों को रेखांकित किया जाएगा। इसके अलावा, भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों के प्रदर्शन और उनके अद्वितीय कौशल को दिखाया जाएगा।

गणतंत्र दिवस परेड

गणतंत्र दिवस परेड न केवल भारत की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करती है, बल्कि यह हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करती है।

26 जनवरी का यह दिन हर भारतीय को उसके अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है, जिसे भारत के संविधान ने स्थापित किया है। इस आयोजन के माध्यम से देश अपनी एकता, अखंडता और विविधता को मनाता है

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