उत्तर प्रदेश में चल रहे महाकुंभ को लेकर विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक महत्वपूर्ण मांग की है। उन्होंने 144 वर्षों बाद होने वाले इस ऐतिहासिक महाकुंभ के दौरान शाही स्नान की तिथियों पर प्रदेश के सभी कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए तीन दिन का सार्वजनिक अवकाश देने की अपील की है। एसोसिएशन का कहना है कि इस विशेष अवसर पर पूरे प्रदेश के लोग महाकुंभ में भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त करने का इच्छुक हैं और ऐसे में इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाने के लिए छुट्टियों की आवश्यकता है।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी और प्रदेश सचिव संयुक्त मोर्चा दिलीप चौहान ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि हिंदू धर्म में महाकुंभ का विशेष स्थान है और यह अवसर 144 वर्षों बाद आया है। यह अवसर आने वाली कई पीढ़ियों के लिए दुर्लभ होगा, इसलिए इस ऐतिहासिक पर्व में स्नान और धार्मिक अनुष्ठान करने का अवसर कर्मचारियों को मिलना चाहिए। एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी विनीत सिंह ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा जैसी महत्वपूर्ण स्नान तिथियों पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए, ताकि प्रदेश के सभी लोग इस महाकुंभ में स्नान कर सकें।
महाकुंभ के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान का महत्व अत्यधिक है। इन स्नान तिथियों पर लाखों श्रद्धालु प्रयागराज में एकत्र होते हैं, और ऐसे में प्रदेश सरकार का यह कदम श्रृद्धालुओं को इस अवसर पर भाग लेने के लिए प्रेरित करेगा। इस मांग पर प्रदेश सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई जा रही है।
महंगाई भत्ते को वेतन में मर्ज करने की मांग
इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर एक और अहम मांग उठाई है। संगठन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि जैसे पहले महंगाई भत्ते को वेतन में मर्ज किया जाता था, वैसे ही वर्तमान समय में भी 50 प्रतिशत से अधिक महंगाई भत्ते को वेतन में समाहित करने की घोषणा की जाए। इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने कहा है कि यह एक स्थापित नियम है कि जब महंगाई भत्ता वेतन के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो उसे वेतन में जोड़ दिया जाता है।
एसोसिएशन के महासचिव प्रेमचंद्र और उप महासचिव अतुल मिश्रा ने 8वें वेतन आयोग की घोषणा का स्वागत किया है और यह उम्मीद जताई है कि कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते को वेतन में शामिल करने का फैसला भी शीघ्र लिया जाएगा। यह निर्णय कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बेहद अहम है, क्योंकि महंगाई के बढ़ते असर को देखते हुए वेतन में यह समायोजन बहुत जरूरी हो गया है।
इसके साथ ही इप्सेफ ने आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा और न्यूनतम वेतन को लेकर भी प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार को इस संबंध में एक ठोस नियमावली तैयार करनी चाहिए, ताकि इन कर्मचारियों को भी उचित सुरक्षा और वेतन मिल सके। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की स्थिति को देखते हुए इस कदम को समय की आवश्यकता बताया गया है, जिससे उनके अधिकारों की रक्षा हो सके।
महंगाई भत्ते को वेतन में मर्ज करने की मांग और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की स्थिति को सुधारने के लिए इप्सेफ की पहल को लेकर कर्मचारियों में उम्मीदें जागी हैं। सरकार की ओर से इस मामले में जल्द निर्णय की उम्मीद जताई जा रही है।