उत्तर प्रदेश में 2025 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम 2024 लागू किया जाएगा। यह कानून मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के तहत परीक्षाओं में शुचिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। इसके तहत नकल, प्रश्नपत्र लीक और सॉल्वर गिरोह की गतिविधियों पर कड़ा शिकंजा कसा जाएगा।
नए अधिनियम के तहत सख्त दंड
इस अधिनियम के अनुसार, परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले दोषियों पर कठोर दंड का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने पर दोषी को 3 से 14 साल तक की जेल और 10 लाख से 25 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना होगा। दोबारा अपराध करने पर सजा और भी गंभीर होगी, जिसमें आजीवन कारावास और 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इससे पहले, 1998 के अधिनियम के तहत सजा बेहद हल्की थी, जिसमें केवल एक साल की जेल या 5000 रुपये तक का जुर्माना शामिल था। नए कानून के तहत नकल माफिया और सॉल्वर गिरोहों पर सख्ती से लगाम लगाई जाएगी।
तकनीकी साधनों का सहारा
परीक्षाओं की निगरानी को और मजबूत करने के लिए सीसीटीवी कैमरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाएगा। परीक्षा केंद्रों और प्रश्नपत्रों के स्ट्रांग रूम में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य न केवल परीक्षा की शुचिता बनाए रखना है, बल्कि छात्रों में ईमानदारी और मेहनत के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है।
सरकार की तैयारी
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि जल्द ही क्षेत्रीय अधिकारियों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इस सख्ती का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परीक्षाओं में किसी भी प्रकार की धांधली न हो और मेहनती छात्रों को न्याय मिल सके।