समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू होने के बाद भारतीय समाज के कानूनी ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। खासकर उत्तराधिकार (Inheritance) से जुड़े मामलों में। वर्तमान में, यदि किसी संतान की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी संपत्ति का अधिकार मुख्यतः उसके जीवनसाथी को मिलता है। इससे माता-पिता, जो अक्सर बुजुर्ग और निर्भर होते हैं, संपत्ति से वंचित रह जाते हैं। यूसीसी लागू होने के बाद माता-पिता भी संतान की चल-अचल संपत्ति में हिस्सेदार होंगे।
न्यायसंगत उत्तराधिकार के लिए एक क्रांतिकारी कदम
यूसीसी का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लाना है, जो किसी विशेष धर्म, जाति, या क्षेत्र पर आधारित न हो। इसका प्रभाव उत्तराधिकार, विवाह, और परिवार कानून पर व्यापक रूप से देखा जाएगा। यह कदम विशेष रूप से उन बुजुर्ग माता-पिता के लिए राहतकारी साबित होगा, जो वर्तमान उत्तराधिकार कानून की वजह से अपनी संतानों की संपत्ति में अधिकार से वंचित हो जाते हैं।
यूसीसी के लागू होने से यह विसंगति खत्म हो जाएगी। माता-पिता को संतानों की संपत्ति में कानूनी रूप से बराबर का हिस्सा मिलेगा। यह न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से सही है, बल्कि समाज में बुजुर्गों की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।
यूसीसी ड्राफ्ट: 610 पन्नों में बदलाव की रूपरेखा
यूसीसी का ड्राफ्ट शुक्रवार को सरकार को सौंपा गया। यह दो वॉल्यूम और चार हिस्सों में विभाजित है। पहले वॉल्यूम में 200 और दूसरे में 410 पन्ने शामिल हैं। ड्राफ्ट में विवाह, विवाह विच्छेद (Divorce), लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण, और उत्तराधिकार से जुड़े नियमों को स्पष्ट किया गया है।
ड्राफ्ट के अनुसार:
- विवाह और विवाह विच्छेद का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- जन्म और मृत्यु का पंजीकरण भी एक कानूनी आवश्यकता बनेगा।
- उत्तराधिकार नियमों में माता-पिता को संतान की संपत्ति में हिस्सा सुनिश्चित किया जाएगा।
विवाह पंजीकरण के लिए समयसीमा
यूसीसी लागू होने के बाद सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। यह नियम वर्तमान और भविष्य के सभी जोड़ों पर लागू होगा।
- जो विवाह यूसीसी लागू होने से पहले हुए हैं, उनके लिए 6 महीने का समय दिया जाएगा।
- यूसीसी लागू होने के बाद विवाह करने वाले जोड़ों को 3 महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
पंजीकरण न कराने की स्थिति में क्या कार्रवाई होगी, यह ड्राफ्ट में स्पष्ट किया गया है। इसमें संभावित दंड और प्रक्रियाओं का विवरण भी शामिल है।
उत्तराधिकार कानून में नया प्रावधान
उत्तराधिकार कानून में माता-पिता के लिए एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है। अब तक, संतान की मृत्यु के बाद संपत्ति मुख्यतः पति या पत्नी को ही मिलती थी। यूसीसी के लागू होने के बाद यह व्यवस्था बदल जाएगी।
- माता-पिता को भी संतान की चल-अचल संपत्ति में कानूनी अधिकार मिलेगा।
- यह प्रावधान बुजुर्ग माता-पिता के आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
यूसीसी से समाज पर प्रभाव
यूसीसी के लागू होने से:
- समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित होगा।
- महिलाओं और बुजुर्गों को कानूनी अधिकारों का बेहतर संरक्षण मिलेगा।
- विवाह, उत्तराधिकार, और पंजीकरण की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।
यूसीसी का उद्देश्य केवल कानूनी सुधार करना नहीं है, बल्कि सामाजिक सुधार भी है। यह सुनिश्चित करेगा कि हर नागरिक को समान अधिकार मिले, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
सरकार की तैयारी
यूसीसी ड्राफ्ट की तकनीकी समीक्षा और अनुवाद के बाद इसे विधि और न्याय विभाग के पास भेजा जाएगा। इसके बाद इसे मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। सरकार इसके कार्यान्वयन की तारीख और प्रक्रियाओं की घोषणा जल्द कर सकती है।
कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण
यूसीसी के प्रस्तावित बदलाव भारत के कानूनी और सामाजिक ताने-बाने में सुधार लाने का एक बड़ा कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि उत्तराधिकार और अन्य पारिवारिक मामलों में किसी भी तरह का भेदभाव न हो। विशेष रूप से बुजुर्ग माता-पिता के लिए यह एक राहत भरी खबर है, जो अक्सर संपत्ति विवादों में उपेक्षित रह जाते हैं।