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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया कुम्भ-वक्फ बोर्ड की जमीन समर्थन, कहा कुछ भी गलत नहीं है

महाकुंभ 2025 में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वक्फ बोर्ड, सनातन बोर्ड, और धार्मिक एकता पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने राजनीतिक बयानबाजी की आलोचना करते हुए गौ माता की सुरक्षा का संदेश दिया। उनका दृष्टिकोण धर्म और न्याय के समन्वय पर आधारित है।

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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया कुम्भ-वक्फ बोर्ड की जमीन समर्थन, कहा कुछ भी गलत नहीं है
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

महाकुंभ 2025 के अवसर पर प्रयागराज में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का आगमन चर्चा का विषय बना। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में वक्फ बोर्ड की जमीन पर महाकुंभ के आयोजन के मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी के दावे का समर्थन किया। उन्होंने इस पर जोर दिया कि दावे करना किसी का अधिकार है, और उनकी सत्यता परखने के बाद ही किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

शंकराचार्य का कहना है कि अगर मस्जिदों के नीचे मंदिरों की खोज को स्वीकारा जा सकता है, तो वक्फ बोर्ड की जमीन पर महाकुंभ के आयोजन के दावे पर भी निष्पक्ष रूप से विचार किया जाना चाहिए। वह न्याय के पक्षधर हैं और उनका मानना है कि गोलबंदी या राजनीतिक मंशा से प्रेरित विरोध अनुचित है।

राजनैतिक बयानबाज़ी और व्यक्तिगत टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हालिया घटनाओं में व्यक्तियों पर की गई टिप्पणियों और राजनीति प्रेरित बयानों पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कुमार विश्वास और कुछ अन्य वक्ताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां सियासी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि धार्मिक परंपराओं और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते समय किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को आहत नहीं किया जाना चाहिए।

घर वापसी और धर्म-संबंधी विवाद

महाकुंभ में आयोजित घर वापसी कार्यक्रमों के संदर्भ में शंकराचार्य ने सवाल उठाया कि आखिर लोग सनातन धर्म को छोड़कर क्यों जा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि धर्म परिवर्तन के कारणों का विश्लेषण किया जाना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के विभाजन को रद्द करने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर सभी धर्म के लोग साथ में रह सकते हैं तो सीमाओं का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए।

मुसलमानों की भागीदारी पर विचार

महाकुंभ में मुसलमानों की भागीदारी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्पष्ट किया कि धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने वालों का आयोजन में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई समुदाय या व्यक्ति सनातन धर्म की भावनाओं को आहत करता है, तो उनका दूर रहना बेहतर होगा।

सनातन बोर्ड की आवश्यकता

सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग को शंकराचार्य ने जायज ठहराया। उनका मानना है कि सनातन धर्म के मठ, मंदिर और आश्रम सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन बोर्ड का गठन सरकार द्वारा नहीं, बल्कि धर्माचार्यों द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रमुख नेताओं और सरकारी नीतियों पर निशाना

शंकराचार्य ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “सुविधाजनक राजनीति” की आलोचना की। उन्होंने सवाल उठाया कि अयोध्या के समय भावनाओं पर आधारित राजनीति करने वाले अब भाईचारे और एकता की बात क्यों कर रहे हैं।

गौ माता की सुरक्षा का संदेश

महाकुंभ 2025 के माध्यम से शंकराचार्य ने गौ माता की रक्षा का संदेश दिया। उन्होंने गौ माता को माता का दर्जा देने और उनके संरक्षण के लिए संकल्प दिलाने की बात कही। उनका मानना है कि गौ माता का संरक्षण भारतीय संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा है।

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