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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब इस चीज़ पर नहीं लगेगा सर्विस टैक्स, सरकार को झटका

👉 केंद्र सरकार को झटका! सुप्रीम कोर्ट ने लॉटरी पर सर्विस टैक्स लगाने के केंद्र के अधिकार को खारिज कर दिया है। क्या अब लॉटरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा? कौन करेगा टैक्स वसूली? जानिए इस फैसले का आपके राज्य पर क्या असर पड़ेगा

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब इस चीज़ पर नहीं लगेगा सर्विस टैक्स, सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब इस चीज़ पर नहीं लगेगा सर्विस टैक्स, सरकार को झटका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लॉटरी (Lottery) की बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा सर्विस टैक्स लगाए जाने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि लॉटरी पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल राज्य सरकार को है, केंद्र सरकार को नहीं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार की अपील को खारिज करते हुए कहा कि लॉटरी बेटिंग (Lottery Betting) और गैंबलिंग (Gambling) के अंतर्गत आती है, जो संविधान की राज्य सूची का हिस्सा है।

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केंद्र की अपील खारिज, सिक्किम हाईकोर्ट का फैसला बरकरार

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) और न्यायमूर्ति एनके सिंह (NK Singh) की पीठ ने सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटरों को केंद्र सरकार को सर्विस टैक्स का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लॉटरी की बिक्री सट्टेबाजी और जुआ (Betting and Gambling) के अंतर्गत आती है, जो भारतीय संविधान की राज्य सूची (State List) में एंट्री 62 का हिस्सा है। इसलिए, केवल राज्य सरकारें इस पर टैक्स लगा सकती हैं।

लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर सर्विस टैक्स के लिए उत्तरदायी नहीं

अदालत ने स्पष्ट किया कि लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर (Lottery Distributors) को सर्विस टैक्स का भुगतान करने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, उन्हें राज्य सरकार द्वारा लगाए गए गैंबलिंग टैक्स (Gambling Tax) का भुगतान करना होगा।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने कहा,

“लॉटरी टिकट खरीदने वाले और फर्म के बीच लेनदेन पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता। हमें भारत सरकार और अन्य द्वारा दायर अपीलों में कोई योग्यता नहीं मिलती, इसलिए इन्हें खारिज किया जाता है।”

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2013 से लंबित था मामला, अब हुआ निपटारा

केंद्र सरकार ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जब सिक्किम हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लॉटरी पर सर्विस टैक्स लगाने को असंवैधानिक करार दिया था। यह फैसला फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (Future Gaming Solutions Pvt. Ltd.) द्वारा दायर याचिका पर आया था।

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केवल राज्य सरकार ही लगा सकती है टैक्स

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सही तरीके से माना कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुए की श्रेणी में आती है। यह संविधान की राज्य सूची की एंट्री 62 में शामिल है और इसलिए केवल राज्य सरकारें ही इस पर टैक्स लगा सकती हैं।

केंद्र सरकार ने दावा किया था कि वह लॉटरी की बिक्री पर सर्विस टैक्स लगाने की हकदार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया।

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क्या होगा अब?

इस फैसले के बाद लॉटरी व्यापार में कार्यरत डिस्ट्रीब्यूटरों और एजेंटों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें अब केंद्र सरकार को सर्विस टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, राज्य सरकारें अपने अधिकार के तहत लॉटरी पर टैक्स वसूलती रहेंगी।

लॉटरी और टैक्स को लेकर कानूनी स्थिति

  1. लॉटरी सट्टेबाजी और जुआ की श्रेणी में आती है, इसलिए यह संविधान की राज्य सूची का हिस्सा है।
  2. सर्विस टैक्स केंद्र सरकार नहीं लगा सकती, केवल राज्य सरकारें ही इस पर टैक्स लगा सकती हैं।
  3. लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर अब सर्विस टैक्स के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन उन्हें राज्य सरकार द्वारा लगाए गए गैंबलिंग टैक्स का भुगतान करना होगा।
  4. सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिससे केंद्र सरकार की अपील खारिज हो गई।

विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला लॉटरी व्यापारियों के लिए राहतभरा है। इससे राज्यों को अधिक वित्तीय अधिकार मिलेगा और केंद्र सरकार के कर लगाने के अधिकार सीमित होंगे।

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एक विशेषज्ञ के अनुसार:
“यह फैसला संविधान में कराधान के संघीय ढांचे को मजबूत करता है। लॉटरी एक राज्य का विषय है और इस पर केवल राज्य सरकार ही टैक्स लगा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्पष्ट कर दिया है।”

फैसले का असर

  • लॉटरी उद्योग को राहत: अब केंद्र सरकार की ओर से सर्विस टैक्स की मांग नहीं की जाएगी।
  • राज्यों को फायदा: केवल राज्य सरकारें लॉटरी से टैक्स वसूल सकती हैं, जिससे उनके राजस्व में बढ़ोतरी हो सकती है।
  • नए कानूनी दिशा-निर्देश: यह फैसला अन्य गैंबलिंग और बेटिंग से जुड़े मामलों में भी कानूनी मिसाल बनेगा।

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