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Solar Panels On Walls: अब छत नहीं, दीवारों पर लगेंगे सोलर पैनल! देखिए नई तकनीक वाली सोलर टाइल्स

💡 सोलर एनर्जी की दुनिया बदलने वाली नई तकनीक! प्लास्टिक वेस्ट से बनी सोलर टाइल्स घर की छत, दीवार और फर्श से बिजली पैदा करेंगी। क्या आपका घर भी रोशन होगा इस नई टेक्नोलॉजी से? जानिए इसकी पूरी डिटेल्स और सरकार की बड़ी योजना

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Solar Panels On Walls: अब छत नहीं, दीवारों पर लगेंगे सोलर पैनल! देखिए नई तकनीक वाली सोलर टाइल्स
Solar Panels On Walls: अब छत नहीं, दीवारों पर लगेंगे सोलर पैनल! देखिए नई तकनीक वाली सोलर टाइल्स

गुजरात के गांधीनगर में आयोजित चौथी रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) इन्वेस्टर समिट में सौर ऊर्जा के भविष्य की एक नई तस्वीर देखने को मिली। अब तक घरों और हाईराइज बिल्डिंग की छतों पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगाए जाते थे, लेकिन अब सोलर टाइल्स (Solar Tiles) इस क्षेत्र में नया बदलाव ला सकती हैं। इस समिट के दौरान केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोलर टाइल भेंट की, जिस पर गुजरात के मोढेरा स्थित 1,000 साल पुराने मशहूर सूर्य मंदिर की तस्वीर उकेरी गई थी।

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सोलर टाइल्स कैसे बदल सकती हैं सौर ऊर्जा का भविष्य?

सोलर टाइल्स, पारंपरिक सोलर पैनल्स का एक उन्नत रूप हैं, जिन्हें फर्श, दीवारों और छतों पर लगाया जा सकता है। इनकी सबसे खास बात यह है कि ये सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic) से बनी हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी।

भारत में पहली बार बनी ये सोलर टाइल्स दोहरी भूमिका निभाती हैं—एक तरफ ये सौर ऊर्जा (Solar Energy) उत्पन्न करती हैं और दूसरी तरफ प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट (Plastic Waste Management) में भी योगदान देती हैं।

सोलर टाइल्स की निर्माण प्रक्रिया और पर्यावरणीय प्रभाव

सोलर टाइल्स को बनाने की प्रक्रिया बेहद अनोखी है। इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण को दूषित करने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार मानी जाती है। ये टाइल्स न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद करेंगी, बल्कि ग्रीन एनर्जी (Green Energy) के लक्ष्य को भी पूरा करेंगी।

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प्लास्टिक वेस्ट का समाधान

प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग (Recycling) आसान नहीं होती। अगर इसे जलाया जाए तो जहरीली गैसें निकलती हैं, और यदि इसे जमीन में दबाया जाए तो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता (Productivity) खत्म हो जाती है। इसके अलावा प्लास्टिक के टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

सोलर टाइल्स, प्लास्टिक से जुड़े इन सभी खतरों को दूर करने का एक बेहतरीन उपाय साबित हो सकती हैं। ये टाइल्स बारिश के पानी को जमीन में जाने से नहीं रोकतीं, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल (Ground Water Level) पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

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सरकार की सौर ऊर्जा क्रांति में बढ़ते कदम

भारत सरकार पिछले कुछ वर्षों से सौर ऊर्जा क्रांति (Solar Energy Revolution) की पटकथा लिख रही है। इसके तहत कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से एक प्रमुख योजना प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना है। इस योजना के तहत 1 करोड़ घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने की लागत का 40% तक सब्सिडी (Subsidy) देने की संभावना है।

सरकार का यह लक्ष्य है कि हर घर को सोलर एनर्जी से रोशन किया जाए, ताकि बिजली की खपत में कमी आए और स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) को बढ़ावा दिया जा सके।

सोलर टाइल्स के संभावित उपयोग

  1. घरों और इमारतों की छतों पर – पारंपरिक सोलर पैनल की जगह इन टाइल्स को छतों पर लगाया जा सकता है।
  2. फर्श और दीवारों पर – सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए इन्हें घरों और कार्यालयों के फर्श व दीवारों में लगाया जा सकता है।
  3. स्मार्ट सिटीज़ और ग्रीन बिल्डिंग्स में – आने वाले समय में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट सिटीज (Smart Cities) में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  4. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए – खासतौर पर उन इलाकों में जहां बिजली की उपलब्धता कम है।

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भविष्य में सोलर टाइल्स का प्रभाव

सोलर टाइल्स के व्यापक उपयोग से बिजली की खपत में कमी, ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। चूंकि ये टाइल्स खुद प्लास्टिक वेस्ट से बनी हैं, इसलिए इनका निर्माण कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint) को भी कम करेगा।

भारत के ऊर्जा क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। आने वाले वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के क्षेत्र में भारत की भूमिका और मजबूत होगी।

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