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SCSS: पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से पाएं 40,000 रुपये मंथली इनकम, जानिए कैसे करें सही प्लानिंग

👉 रिटायरमेंट के बाद पैसों की टेंशन खत्म! पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) से 8.2% ब्याज दर पर रेगुलर मंथली इनकम पाएं। जानिए कैसे ₹30-60 लाख के निवेश पर हर महीने ₹40,100 तक की इनकम संभव है! पूरा डिटेल्स पढ़ें और समझदारी से करें निवेश

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SCSS: पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से पाएं 40,000 रुपये मंथली इनकम, जानिए कैसे करें सही प्लानिंग
SCSS: पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से पाएं 40,000 रुपये मंथली इनकम, जानिए कैसे करें सही प्लानिंग

रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम की जरूरत होती है, जिसके लिए पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह सरकारी बचत योजना गारंटीड रिटर्न देती है और इसमें सालाना 8.2% ब्याज मिलता है। इस स्कीम के तहत हर तिमाही ब्याज का भुगतान किया जाता है, जिसे सही रणनीति से मैनेज करके महीने की नियमित आय (Monthly Income) बनाई जा सकती है। आइए जानते हैं, यह स्कीम कैसे काम करती है और इससे हर महीने कितनी इनकम मिल सकती है।

सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) उन लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है, जो रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम चाहते हैं। सरकार की 8.2% सालाना ब्याज दर इसे सबसे आकर्षक बचत योजनाओं में से एक बनाती है। यदि आप बिना किसी जोखिम के एक स्थिर मासिक आय चाहते हैं, तो SCSS आपके लिए एक बेहतरीन निवेश विकल्प हो सकता है।

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SCSS स्कीम की खास बातें

सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक सुरक्षित निवेश योजना है, जो पोस्ट ऑफिस और ऑथराइज्ड बैंकों के माध्यम से उपलब्ध है। यह स्कीम वरिष्ठ नागरिकों को बिना किसी जोखिम के फिक्स्ड रिटर्न प्रदान करती है। सरकार की गारंटी होने के कारण इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है।

SCSS अकाउंट की विशेषताएं

  • निवेश की अवधि: 5 साल (3 साल के लिए एक्सटेंशन का ऑप्शन)
  • ब्याज दर: 8.2% सालाना (ब्याज का भुगतान हर तिमाही)
  • न्यूनतम निवेश: ₹1000
  • अधिकतम निवेश: ₹30 लाख
  • टैक्स बेनेफिट: सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट
  • नॉमिनेशन की सुविधा उपलब्ध

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कौन खोल सकता है SCSS खाता?

SCSS स्कीम में 60 वर्ष या इससे अधिक आयु के व्यक्ति खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में 55 से 60 वर्ष की आयु के सरकारी कर्मचारी जो वॉलंटियरी रिटायरमेंट स्कीम (VRS) के तहत रिटायर हुए हैं, वे भी इसमें निवेश कर सकते हैं।

रिटायर्ड डिफेंस कर्मी 50 साल या उससे अधिक उम्र में इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं, बशर्ते कि वे रिटायरमेंट बेनिफिट मिलने के 1 महीने के भीतर इस योजना में निवेश करें। हालांकि, HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) और NRI (अनिवासी भारतीय) इस योजना का लाभ नहीं ले सकते।

SCSS में कितने अकाउंट खोले जा सकते हैं?

SCSS स्कीम के तहत एक व्यक्ति अधिकतम ₹30 लाख तक जमा कर सकता है। यदि पति-पत्नी अलग-अलग खाते खोलते हैं, तो वे मिलकर ₹60 लाख तक का निवेश कर सकते हैं।

अगर जॉइंट अकाउंट (Joint Account) में निवेश किया जाता है, तो अधिकतम सीमा ₹30 लाख ही होगी।

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SCSS से कितनी होगी मंथली इनकम?

SCSS में निवेश पर हर तिमाही ब्याज का भुगतान किया जाता है। यदि कोई 30 लाख रुपये का निवेश करता है, तो उसे ब्याज के रूप में हर तिमाही ₹60,150 रुपये मिलेंगे।

मंथली इनकम का कैलकुलेशन:

निवेश राशिसालाना ब्याज दरतिमाही ब्याज भुगतानमंथली इनकम
₹30 लाख8.2%₹60,150₹20,050

इस हिसाब से, 5 साल में कुल ब्याज ₹12.03 लाख बनता है। यदि पति-पत्नी दोनों SCSS अकाउंट खोलते हैं, तो वे ₹30-30 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं, जिससे हर महीने ₹40,100 रुपये की इनकम हो सकती है।

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क्या SCSS अकाउंट को समय से पहले बंद किया जा सकता है?

यदि किसी कारणवश खाता मैच्योरिटी से पहले बंद करना हो, तो इसके लिए कुछ शर्तें लागू होती हैं:

  • 1 साल से पहले खाता बंद करने पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा और यदि पहले ब्याज मिल चुका है, तो वह प्रिंसिपल से काट लिया जाएगा।
  • 1 से 2 साल के बीच बंद करने पर 1.5% पेनाल्टी लगेगी।
  • 2 से 5 साल के बीच बंद करने पर 1% पेनाल्टी लगेगी।
  • 5 साल पूरा होने के बाद यदि खाता एक्सटेंड किया गया हो और फिर 1 साल बाद बंद किया जाए, तो कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी।

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SCSS का सही उपयोग कैसे करें?

सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) में मिलने वाले तिमाही ब्याज को हर महीने निकालकर रेगुलर इनकम के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। पति-पत्नी दोनों के नाम से अलग-अलग खाते खोलकर मंथली इनकम को डबल किया जा सकता है।

मैच्योरिटी पर मिलने वाले प्रिंसिपल अमाउंट को फिर से SCSS या किसी अन्य फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) या पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) जैसी स्कीम में निवेश कर सकते हैं, जिससे लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी बनी रहे।

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