सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को कड़ी फटकार लगाई और एक ग्राहक को 94,000 रुपये लौटाने का आदेश दिया। यह मामला असम के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने 2021 में ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान साइबर फ्रॉड का सामना किया। घटना ने न केवल बैंक की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए, बल्कि साइबर सुरक्षा और ग्राहक सहायता की कमियों को भी उजागर किया।
क्या है कहानी?
घटना की शुरुआत तब हुई जब असम के एक ग्राहक ने लुइस फिलिप ब्रांड का ब्लेजर खरीदा। ब्लेजर पसंद न आने पर उसे रिटर्न करने का निर्णय लिया गया। इस प्रक्रिया के दौरान, ग्राहक को एक धोखाधड़ी कॉल मिली, जिसमें कॉलर ने खुद को लुइस फिलिप के कस्टमर केयर प्रतिनिधि के रूप में पेश किया। कॉलर ने रिटर्न प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक ऐप इंस्टॉल करने को कहा। ऐप इंस्टॉल होते ही ग्राहक का बैंक खाता खाली कर दिया गया, और 94,000 रुपये की राशि गुम हो गई।
ग्राहक की प्रतिक्रिया और SBI का रवैया
घटना के तुरंत बाद ग्राहक ने SBI के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया और कार्ड व अकाउंट ब्लॉक करवा दिया। उसने पुलिस और साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई। बावजूद इसके, बैंक ने मामले में सक्रियता नहीं दिखाई। न तो साइबर क्राइम रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही चार्जबैक अनुरोध किया गया। SBI ने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया कि फ्रॉड गूगल पे के जरिए हुआ था, जो कि एक थर्ड-पार्टी ऐप है।
न्याय की तलाश
ग्राहक ने हार न मानते हुए पहले RBI ओम्बड्समैन, फिर गुवाहाटी हाई कोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। RBI ओम्बड्समैन और गुवाहाटी हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने SBI को 94,000 रुपये की पूरी रकम लौटाने का आदेश दिया और बैंक की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारत का सबसे बड़ा बैंक होने के नाते SBI के पास अत्याधुनिक तकनीक है, फिर भी साइबर धोखाधड़ी को रोकने में विफलता शर्मनाक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब ग्राहक ने 24 घंटे के अंदर बैंक को धोखाधड़ी की सूचना दी थी, तो बैंक को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी।