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बाइक का साइलेंसर बदलवाया तो होगी बड़ी मुसीबत! जानें नए ट्रैफिक नियम और भारी चालान से कैसे बचें

👉 क्या आपकी बाइक की आवाज़ 80 डेसिबल से ज्यादा है? अगर हां, तो हो जाएं सतर्क! सरकार ने मॉडिफाइड साइलेंसर पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जानिए, कैसे भारी जुर्माना और लाइसेंस निलंबन से बच सकते हैं

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बाइक का साइलेंसर बदलवाया तो होगी बड़ी मुसीबत! जानें नए ट्रैफिक नियम और भारी चालान से कैसे बचें
बाइक का साइलेंसर बदलवाया तो होगी बड़ी मुसीबत! जानें नए ट्रैफिक नियम और भारी चालान से कैसे बचें

स्पोर्ट्स बाइक की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है, और इसके साथ ही लोग अपनी सामान्य बाइकों को भी स्पोर्ट्स बाइक की तरह दिखाने और उनकी आवाज़ तेज करने के लिए मॉडिफिकेशन करवा रहे हैं। शहरों में सड़क पर चलते समय आपने भी देखा होगा कि कई वाहन तेज़ आवाज़ के साथ गुजरते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। हालांकि, मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) के तहत ऐसा करना गैरकानूनी है और इस पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।

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स्पोर्ट्स बाइक की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही नियमों का उल्लंघन भी देखा जा रहा है। मॉडिफाइड साइलेंसर लगवाकर तेज़ आवाज़ करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। मोटर वाहन अधिनियम के तहत ऐसा करना दंडनीय अपराध है और इसके लिए चालान, लाइसेंस निलंबन और जेल की सजा का प्रावधान है। वाहन मालिकों को चाहिए कि वे नियमों का पालन करें और ध्वनि प्रदूषण रोकने में योगदान दें।

क्या कहता है मोटर वाहन कानून?

मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों के साइलेंसर को लेकर भारत में स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। अगर कोई वाहन मालिक अपनी बाइक या कार के साइलेंसर में बदलाव कर तेज़ आवाज़ निकालता है, तो उस पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। यह अधिनियम किसी भी प्रकार के मॉडिफिकेशन को प्रतिबंधित करता है, जिससे वाहन की ध्वनि सीमा निर्धारित मानकों से अधिक हो जाए।

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ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ नियम

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986) के अनुसार, किसी भी वाहन से निकलने वाली ध्वनि की अधिकतम सीमा निर्धारित है।

  • बाइक और कार के लिए अधिकतम ध्वनि सीमा – 80 डेसिबल
  • मॉडिफाइड साइलेंसर से निकलने वाली ध्वनि – 120 डेसिबल से अधिक (गैरकानूनी)

अगर कोई वाहन 80 डेसिबल से अधिक शोर करता है, तो यह ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत आता है। मॉडिफाइड साइलेंसर से निकलने वाली आवाज़ 120 डेसिबल या उससे अधिक हो सकती है, जो कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।

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नियम तोड़ने पर क्या कार्रवाई होगी?

यदि कोई व्यक्ति अपनी बाइक में मॉडिफाइड साइलेंसर लगवाकर तेज़ आवाज़ निकालता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

  • पहली बार पकड़े जाने पर चालान और भारी जुर्माना लगाया जाता है।
  • बार-बार ऐसा करने पर ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) निलंबित किया जा सकता है।
  • स्थिति गंभीर होने पर जेल की सजा भी हो सकती है।

पुलिस और आरटीओ की कार्रवाई

देश के कई शहरों में पुलिस और आरटीओ (Regional Transport Office) ने ऐसे मॉडिफाइड साइलेंसर वाले वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किए हैं। ऐसे वाहनों को पकड़कर न केवल चालान किया जाता है, बल्कि साइलेंसर भी जब्त कर लिए जाते हैं। कई मामलों में मॉडिफाइड साइलेंसर को मौके पर ही नष्ट कर दिया जाता है।

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तेज़ आवाज़ वाले साइलेंसर से होने वाले नुकसान

  1. ध्वनि प्रदूषण – तेज़ आवाज़ से लोगों को मानसिक तनाव और सुनने की समस्या हो सकती है।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव – ज्यादा शोर सुनने से नींद में परेशानी, चिड़चिड़ापन और हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  3. कानूनी दंड – मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन करने पर चालान और लाइसेंस निलंबन का खतरा।
  4. पर्यावरण पर प्रभाव – ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ इंजन में बदलाव से वायु प्रदूषण भी बढ़ सकता है।

सरकार और प्रशासन का रुख

सरकार और प्रशासन लगातार मॉडिफाइड वाहनों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। पुलिस द्वारा न केवल तेज़ आवाज़ वाले साइलेंसर को जब्त किया जा रहा है, बल्कि सार्वजनिक जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है। वाहन मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने वाहनों को अनावश्यक रूप से मॉडिफाई न करवाएं और कानूनी नियमों का पालन करें।

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क्या करें और क्या न करें?

  • क्या करें?
    • अपने वाहन में कंपनी-फिटेड साइलेंसर का ही उपयोग करें।
    • मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का पालन करें।
    • ध्वनि प्रदूषण को रोकने में मदद करें।
  • क्या न करें?
    • मॉडिफाइड साइलेंसर लगवाकर बाइक की आवाज़ तेज़ न करें।
    • नियमों का उल्लंघन कर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का जोखिम न उठाएं।
    • सार्वजनिक स्थानों पर तेज़ आवाज़ वाले वाहन न चलाएं।

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