वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत होने के बाद, अब सभी की निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक पर टिकी हैं, जो 5 से 7 फरवरी के बीच आयोजित होगी। बजट में खपत बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई भी ब्याज दरों में कटौती करके सरकार के इस प्रयास में सहयोग करेगा।
बजट 2025-26 में खपत बढ़ाने के लिए किए गए उपायों के बाद, अब सभी की निगाहें आरबीआई की आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर हैं। विशेषज्ञों के बीच रेपो रेट में कटौती को लेकर मिश्रित राय है। कुछ का मानना है कि महंगाई दर में संभावित गिरावट और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है, जबकि अन्य रुपये की कमजोरी और महंगाई बढ़ने की आशंका के कारण सतर्क हैं। आगामी बैठक में आरबीआई का निर्णय अर्थव्यवस्था की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह भी देखें: Pension Hike: सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी! एक्स्ट्रा पेंशन पर जारी नोटिफिकेशन
बजट 2025-26: आयकर में बड़ी राहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया है। नई कर व्यवस्था में अब तक यह सीमा 7 लाख रुपये थी। आनंद राठी समूह के सह-संस्थापक और उपाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता के अनुसार, इस आयकर छूट से खपत में वृद्धि की उम्मीद है, विशेषकर मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग में, जहां विवेकाधीन खर्च बढ़ सकता है।
आरबीआई और सार्वजनिक बैंकों से लाभांश की उम्मीद
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कुल 2.56 लाख करोड़ रुपये तक का लाभांश मिलने की संभावना है। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में यह राशि 2.30 लाख करोड़ रुपये थी। रुपये में गिरावट और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों से होने वाली कमाई इस बढ़ोतरी के मुख्य कारण हो सकते हैं।
यह भी देखें: सरकार दे रही है फ्री स्कूटी! जानिए कौन उठा सकता है इस खास योजना का लाभ
महंगाई दर में संभावित गिरावट
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज के भारत के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया का मानना है कि इस वर्ष खुदरा महंगाई दर घटकर 4% के आसपास आ सकती है। ऐसे में आरबीआई के लिए नीतिगत दरों में कटौती करना संभव हो सकता है। सोसाइटी जनरल के भारत के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू के अनुसार, नए गवर्नर संजय मल्होत्रा का रुख अर्थव्यवस्था को सहारा देने की ओर है, और वे आवश्यकता पड़ने पर रेपो रेट में कटौती से नहीं हिचकिचाएंगे।
विशेषज्ञों की राय: रेपो रेट में कटौती की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरबीआई ब्याज दरों में थोड़ी कमी करता है, तो आम लोगों की ईएमआई का बोझ कम होगा, जिससे उनकी बचत बढ़ेगी। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज के राहुल बाजोरिया और एलारा सिक्योरिटीज की अर्थशास्त्री गरिमा कपूर को उम्मीद है कि आरबीआई फरवरी में रेपो रेट में 0.25% की कटौती करके इसे 6.25% पर ला सकता है। इसके बाद, चरणबद्ध तरीके से 0.75% की और कटौती करके 2025 के अंत तक रेपो रेट को 5.50% तक लाया जा सकता है। साथ ही, आरबीआई कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 0.50% की कटौती करके या खुले बाजार से बॉन्ड खरीदकर बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ा सकता है।
यह भी देखें: 8th Pay Commission Fitment Factor: जानिए कैसे बढ़ेगी आपकी सैलरी, कितना मिलेगा इंक्रीमेंट
रुपये की गिरावट: एक चिंता का विषय
हालांकि, रुपये की हालिया गिरावट ने महंगाई बढ़ने की आशंका को जन्म दिया है, जिससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को धक्का लगा है। रुपये की कमजोरी से आयात महंगा हो सकता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रुपये की गिरावट के कारण आरबीआई फरवरी में ब्याज दरों में कटौती को टाल सकता है।