भारत में सम्पत्ति अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है। सम्पत्ति अधिकार संशोधन अधिनियम 2025, जो 1 जनवरी 2025 से लागू होगा, सम्पत्ति स्वामित्व, हस्तांतरण, विवाद निपटान और सम्पत्ति प्रबंधन के क्षेत्र में पारदर्शिता और कुशलता लाने का प्रयास करेगा।
यह कानून सम्पत्ति विवादों को कम करने, महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने, डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने और अवैध कब्जों पर रोक लगाने के लिए तैयार किया गया है। इस लेख में इस कानून के सभी प्रमुख पहलुओं, शर्तों, और इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई है।
सम्पत्ति अधिकार संशोधन अधिनियम 2025 का परिचय
सम्पत्ति अधिकार संशोधन अधिनियम 2025 का उद्देश्य सम्पत्ति के स्वामित्व और विवाद निपटान की प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव लाना है। इस कानून को लागू करने का मुख्य उद्देश्य है:
- सम्पत्ति विवादों में कमी: कोर्ट में चल रहे अनसुलझे मामलों को कम करना।
- महिलाओं के अधिकारों को सशक्त बनाना: महिलाओं को पैतृक और वैवाहिक सम्पत्ति में बराबरी का हक।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग: सभी सम्पत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना और उसे सुरक्षित रखना।
- अवैध कब्जों पर रोक: अवैध कब्जों और फर्जीवाड़े के मामलों में कड़ी कार्रवाई करना।
यह कानून सम्पत्ति स्वामित्व, हस्तांतरण और उत्तराधिकार से संबंधित सभी प्रकार की अचल सम्पत्तियों जैसे भूमि, मकान, दुकान आदि पर लागू होगा।
सम्पत्ति में हक पाने के लिए अनिवार्य शर्तें
इस कानून के अंतर्गत सम्पत्ति अधिकार प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:
1. आधार कार्ड से सम्पत्ति लिंक करना
- हर सम्पत्ति को मालिक के आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य होगा।
- इससे सम्पत्ति के वास्तविक मालिक की पहचान सुनिश्चित होगी।
- फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी की घटनाओं पर रोक लगेगी।
2. डिजिटल रिकॉर्ड की अनिवार्यता
- सभी सम्पत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसमें सम्पत्ति का पूरा विवरण, मालिक का नाम, मूल्य और खरीद की तारीख दर्ज होगी।
- यह रिकॉर्ड सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध होगा और नागरिक कभी भी इसे ऑनलाइन देख सकते हैं।
3. बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन
- सम्पत्ति लेन-देन के समय मालिक का बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य होगा।
- इससे फर्जी दस्तावेजों और हस्ताक्षरों के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी रोकी जा सकेगी।
4. रजिस्ट्रेशन की वीडियो रिकॉर्डिंग
- सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की जाएगी।
- यह वीडियो रिकॉर्डिंग किसी भी विवाद के मामले में प्रमाण के रूप में काम आएगी।
5. ऑनलाइन दस्तावेज़ सत्यापन
- सम्पत्ति के दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन अनिवार्य होगा।
- इससे फर्जी और जाली दस्तावेजों को पहचानना और रोकना आसान होगा।
महिलाओं के सम्पत्ति अधिकार
नए कानून में महिलाओं को उनकी सम्पत्ति से जुड़े अधिकारों को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- पैतृक सम्पत्ति में बराबरी का हक: बेटियों को पैतृक सम्पत्ति में बेटों के समान अधिकार मिलेगा।
- वैवाहिक अधिकार: विवाहित महिलाओं को अपने पति की सम्पत्ति में कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।
- तलाक के बाद का हक: तलाक के मामले में महिलाओं को सम्पत्ति में उचित हिस्सा मिलेगा।
- विधवाओं के अधिकार: विधवाओं को उनके पति की सम्पत्ति में संपूर्ण अधिकार मिलेगा।
सम्पत्ति विवाद निपटान की प्रक्रिया
फास्ट ट्रैक कोर्ट
- सम्पत्ति विवादों के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएंगे।
- इन अदालतों में मामलों का निपटान अधिकतम 6 महीनों के भीतर करना अनिवार्य होगा।
ऑनलाइन विवाद समाधान
- छोटे-मोटे सम्पत्ति विवादों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था की जाएगी।
- इससे न्यायालयों पर बोझ कम होगा और नागरिकों को तेजी से समाधान मिलेगा।
मध्यस्थता (Mediation)
- विवाद निपटान के लिए मध्यस्थता को बढ़ावा दिया जाएगा।
- सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मध्यस्थों की मदद से विवाद सुलझाए जाएंगे।
अवैध कब्जों पर कार्रवाई
इस कानून में अवैध कब्जों और जमीन हड़पने के मामलों पर रोक लगाने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं:
- अवैध कब्जे पर सजा: अवैध कब्जे करने वालों को कठोर दंड का प्रावधान।
- विशेष टास्क फोर्स: जमीन माफिया और अवैध कब्जे रोकने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन।
- सरकारी जमीन की सुरक्षा: सरकारी और सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
सम्पत्ति का डिजिटल प्रबंधन
ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग
- सम्पत्ति के रिकॉर्ड को सुरक्षित और छेड़छाड़ से मुक्त रखने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
जियो-टैगिंग
- सभी सम्पत्तियों की जियो-टैगिंग की जाएगी ताकि उनकी सटीक लोकेशन पता चल सके।
डिजिटल लैंड रिकॉर्ड
- सभी सम्पत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसमें मालिकाना हक, नक्शा, और अन्य जानकारी शामिल होगी।
सम्पत्ति खरीद-बिक्री में पारदर्शिता
- सम्पत्ति के लेन-देन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का ऑनलाइन भुगतान किया जाएगा।
- प्रॉपर्टी डीलरों का रजिस्ट्रेशन और नियमन सुनिश्चित किया जाएगा।