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PPF और NSC पर घट सकता है ब्याज! सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, जानें वजह

छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) पर ब्याज दरें घटने की आशंका! PPF, NSC और Sukanya Samriddhi Yojana में निवेश करने वालों को बड़ा नुकसान हो सकता है। क्या सरकार जल्द ही नया फैसला लेगी? जानिए ताजा अपडेट और निवेशकों के लिए क्या हैं नए विकल्प

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PPF और NSC पर घट सकता है ब्याज! सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, जानें वजह
PPF और NSC पर घट सकता है ब्याज! सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, जानें वजह

सरकार जल्द ही पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) जैसी छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) की ब्याज दरों में कटौती कर सकती है। यह खबर छोटे निवेशकों के लिए किसी झटके से कम नहीं होगी, क्योंकि इन योजनाओं को सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देने वाले निवेश विकल्पों में गिना जाता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने और रेपो रेट में कटौती के चलते सरकार ब्याज दरों में कमी कर सकती है।

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PPF, NSC, Sukanya Samriddhi Yojana जैसी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में संभावित कटौती छोटे निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। सरकार रेपो रेट और बैंक एफडी की ब्याज दरों को देखते हुए यह फैसला ले सकती है। यदि दरें कम होती हैं, तो निवेशकों को नए विकल्पों पर विचार करना होगा। हालांकि, फिलहाल सरकार ने आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति साफ हो सकती है।

ब्याज दरों में कटौती क्यों संभव है?

वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा यदि रेपो रेट में कटौती की जाती है तो बैंकों को सस्ते में धन उपलब्ध होगा। इससे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, और यदि ऐसा हुआ तो सरकार भी छोटी बचत योजनाओं की दरें घटा सकती है। वर्तमान में ये योजनाएं बैंकों की एफडी की तुलना में अधिक ब्याज प्रदान कर रही हैं, जिससे इनकी मांग ज्यादा बनी हुई है।

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सरकार का उद्देश्य है कि बाजार में नकदी संतुलित रहे और ब्याज दरों में समानता बनी रहे। ऐसे में यदि बैंकों की एफडी दरें घटती हैं, तो छोटी बचत योजनाओं की दरें भी घटाई जा सकती हैं ताकि निवेशकों का झुकाव इन स्कीम्स की ओर ज्यादा न हो।

मौजूदा ब्याज दरें और संभावित कटौती

इस समय सरकार की विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर निम्नलिखित ब्याज दरें लागू हैं:

  • पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): 7.1%
  • नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC): 7.7%
  • सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana): 8.2%
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS): 8.2%

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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रेपो रेट में कटौती की जाती है, तो इन स्कीम्स की ब्याज दरें 0.2% से 0.5% तक घट सकती हैं

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निवेशकों के लिए संभावित असर

यदि सरकार PPF, NSC, Sukanya Samriddhi Yojana जैसी योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती करती है, तो इसका सीधा असर छोटे निवेशकों पर पड़ेगा। इस फैसले के बाद:

  1. निवेश पर मिलने वाला रिटर्न घटेगा – जो लोग इन योजनाओं में लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, उन्हें कम ब्याज मिलने से नुकसान होगा।
  2. बचत योजनाओं की आकर्षकता कम होगी – लोग इन योजनाओं की बजाय अन्य निवेश विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
  3. अन्य निवेश साधनों का महत्व बढ़ सकता है – म्युचुअल फंड, बॉन्ड्स, शेयर बाजार जैसी जगहों पर निवेश बढ़ सकता है।

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रेपो रेट में बदलाव का प्रभाव

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। यदि RBI रेपो रेट कम करता है, तो बैंक भी सस्ता कर्ज दे सकते हैं और साथ ही एफडी (FD) की ब्याज दरें घटा सकते हैं। जब बैंकों की ब्याज दरें गिरती हैं, तो सरकार पर भी दबाव बढ़ता है कि वह छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती करे ताकि एक संतुलन बना रहे।

क्या सरकार दरें घटाने का निर्णय लेगी?

सरकार हर तिमाही छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करती है। पिछली कुछ तिमाहियों में ब्याज दरों में स्थिरता बनी हुई थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। यदि बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है और रेपो रेट में कटौती होती है, तो सरकार ब्याज दरें घटाने पर विचार कर सकती है।

हालांकि, चुनावी साल होने के कारण सरकार कोई बड़ा बदलाव करने से बच सकती है, क्योंकि इससे छोटे निवेशकों और मध्यम वर्ग को झटका लग सकता है।

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निवेशकों के लिए क्या रास्ते खुले हैं?

यदि सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें कम करती है, तो निवेशकों के पास कुछ विकल्प हो सकते हैं:

  1. जो लोग पहले से PPF या NSC में निवेश कर रहे हैं, वे इन योजनाओं को जारी रख सकते हैं क्योंकि PPF में लॉक-इन पीरियड होता है और लंबी अवधि में यह सुरक्षित विकल्प बना रहता है।
  2. म्युचुअल फंड, पोस्ट ऑफिस की अन्य योजनाएं या सरकारी बॉन्ड्स पर भी विचार किया जा सकता है।
  3. कुछ बैंकों में अभी भी उच्च ब्याज दरें मिल रही हैं, ऐसे में निवेशक बैंकों की विभिन्न एफडी योजनाओं को भी देख सकते हैं।

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