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भिखारी को भीख देना इस आदमी को पड़ा महंगा, पुलिस ने दर्ज किया केस, अब जाएगा जेल

एक शख्स का भिखारी की मदद करना बना उसकी सबसे बड़ी गलती। पुलिस ने दर्ज किया केस, अब जेल की सजा का सामना कर सकता है। क्या आप जानते हैं क्यों मदद करना पड़ा भारी? पढ़ें पूरी कहानी!

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मध्य प्रदेश के इंदौर में भिखारी को भीख देने के मामले में पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। इंदौर प्रशासन शहर को भिखारी मुक्त बनाने के उद्देश्य से लगातार सख्त कदम उठा रहा है। इस दिशा में प्रशासन ने पहले ही एक आदेश जारी किया था, जिसमें शहर में भीख देने और लेने वाले दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।

इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए प्रशासन का अभियान

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसमें इंदौर भी शामिल है। इस पहल के तहत इंदौर प्रशासन शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। दिसंबर महीने से इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए हैं। जिला प्रशासन ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें साफ कहा गया था कि भीख देने और लेने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन की इस सख्ती के तहत, 1 जनवरी से लागू इस आदेश का उल्लंघन करने पर दंडात्मक प्रावधान किए गए हैं।

FIR दर्ज करने के पीछे प्रशासन का उद्देश्य

इंदौर पुलिस ने अब तक दो एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसने भीख दी थी। दूसरी एफआईआर एक महिला भिखारी के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसे यह भीख मिली थी। यह कार्रवाई भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल के अधिकारी की शिकायत पर की गई। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 223 के तहत इन एफआईआर को दर्ज किया है।

धारा 223 के तहत किसी सरकारी आदेश का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है। इसमें दोषी पाए जाने पर एक साल की सजा, 2500 रुपये तक का जुर्माना, या फिर दोनों हो सकते हैं।

DM आशीष सिंह ने की अपील

इंदौर के जिलाधिकारी (DM) आशीष सिंह ने पिछले महीने शहरवासियों से भीख न देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के कदम शहर को भिखारी मुक्त बनाने में मदद करेंगे। DM ने यह भी बताया कि हाल ही में भीख मंगवाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। इसके अलावा, भिखारियों को पुनर्वास केंद्रों में भेजने की व्यवस्था भी की गई है।

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DM आशीष सिंह ने यह स्पष्ट किया कि भिखारी बनना न केवल एक सामाजिक समस्या है बल्कि इससे अपराध और मानव तस्करी जैसे मुद्दों को भी बढ़ावा मिलता है। प्रशासन का प्रयास है कि भिखारियों को पुनर्वासित किया जाए और उन्हें बेहतर जीवन के लिए अवसर दिए जाएं।

जागरूकता अभियान और कानूनी कार्रवाई

दिसंबर महीने से प्रशासन ने जागरूकता अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें लोगों को यह समझाया गया कि भीख देना, समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि यह स्थिति को और जटिल बनाता है। प्रशासन ने शहर के प्रमुख स्थानों पर जागरूकता बोर्ड और पोस्टर लगाए हैं।

पुलिस का कहना है कि उनकी प्राथमिकता है कि आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन का यह कदम इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

पुनर्वास और समाज की जिम्मेदारी

प्रशासन का मानना है कि केवल सख्त कार्रवाई से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसलिए, भिखारियों को रोजगार के अवसर और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। DM ने बताया कि भिखारियों को सामाजिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें स्किल ट्रेनिंग और अन्य योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।

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