हरियाणा और उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ने और माल परिवहन व्यवस्था को सरल बनाने के लिए ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय औद्योगिक विकास में योगदान देगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं को भी कम करने में सहायक होगी।
फिजिबिलिटी स्टडी के लिए मिली आर्थिक मदद
उत्तर प्रदेश सरकार और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की फिजिबिलिटी स्टडी के लिए हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (HRIDC) को 1.77 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की है। इस स्टडी के आधार पर परियोजना के आगामी चरणों पर कार्य शुरू होगा, जिससे इसे समय पर पूरा करने की दिशा में प्रगति होगी।
परियोजना की विशेषताएं और लंबाई
यह ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर 135 किलोमीटर लंबा होगा और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के विभिन्न महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मसूरी से होकर गुजरेगा।
मालवाहक ट्रेनों को मिलेगा दिल्ली-एनसीआर से बाहर का रूट
ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के निर्माण के बाद मालवाहक ट्रेनों को दिल्ली-एनसीआर के अंदर प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे मालवाहक ट्रेनों के परिचालन में समय की बचत होगी और परिवहन की लागत कम हो जाएगी। बाहरी क्षेत्रों में माल आपूर्ति तेजी से और आसानी से हो सकेगी। यह कदम न केवल मालवाहक ट्रेनों के लिए अधिक सुविधाजनक होगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ की समस्या को कम करने में भी सहायक होगा।
औद्योगिक विकास को नई दिशा
यह परियोजना औद्योगिक विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने के साथ यह कॉरिडोर लॉजिस्टिक्स के खर्चों को कम करेगा और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा। नए उद्योगों की स्थापना और क्षेत्रीय व्यापार की बेहतर सुविधाओं के कारण इस परियोजना से औद्योगिक क्षेत्रों को नई दिशा मिलेगी। निवेशकों के लिए यह क्षेत्र और अधिक आकर्षक बनेगा।
पर्यावरण प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से राहत
2030 तक पूरी होने वाली इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि इससे दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक जाम की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। मालवाहक ट्रेनों के संचालन से सड़क परिवहन पर निर्भरता घटेगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं और जाम की स्थिति में कमी आएगी। इसके अलावा, रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में अधिक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण संभव होगा।
परियोजना के मार्ग पर विचार
GDA के वीसी अतुल वत्स ने बताया कि परियोजना के मार्ग को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। इसे ईस्टर्न पेरिफेरल के अंदर या मसूरी की ओर से ले जाने पर विचार किया जा रहा है।
मार्ग का चयन करते समय क्षेत्रीय विकास और पर्यावरणीय प्रभाव का विशेष ध्यान रखा जाएगा। जल्द ही प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में इस संबंध में बैठक आयोजित होगी।
क्षेत्रीय विकास और रोजगार के अवसर
यह परियोजना क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी। गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित होंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और सामाजिक विकास में योगदान होगा। साथ ही, निवेशकों और व्यापारियों के लिए यह क्षेत्र आकर्षक बन जाएगा, जिससे विकास की गति तेज होगी।
सरकार और GDA की सक्रियता
उत्तर प्रदेश सरकार और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) इस परियोजना को लेकर पूरी तरह सक्रिय हैं। फिजिबिलिटी स्टडी के लिए धनराशि पहले ही जारी की जा चुकी है, और इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए सभी प्रक्रियाओं को तेज किया जा रहा है। इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के तहत लागू करने की योजना है। अधिकारियों की नियमित बैठकों और दिशा-निर्देशों के तहत इस परियोजना को प्राथमिकता दी जा रही है।