1975 में लगी इमरजेंसी के दौरान जेल गए ओडिशा (तब उड़ीसा) के नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि इन लोगों को 20,000 रुपये की मासिक पेंशन (Rs. 20,000 pension emergency victims) दी जाएगी। इसके साथ ही इन लाभार्थियों को फ्री मेडिकल इलाज का भी लाभ मिलेगा। यह जानकारी स्टेट होम डिपार्टमेंट की ओर से जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में दी गई है।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इन लाभों का लाभ वही लोग उठा सकते हैं जो 1 जनवरी, 2025 तक जीवित हैं। योजना का उद्देश्य इमरजेंसी के दौरान अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले व्यक्तियों को सम्मान और समर्थन प्रदान करना है।
पेंशन और फ्री मेडिकल सुविधा का लाभ
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समितियों का गठन किया है, जो लाभार्थियों का चयन करेंगी। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) सत्यब्रत साहू की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में इन समितियों के कामकाज पर चर्चा हुई। इसमें यह तय हुआ कि पेंशन की राशि उन पर निर्भर नहीं करेगी कि लाभार्थी ने जेल में कितना समय बिताया है।
राज्य सरकार के अनुसार, फ्री मेडिकल इलाज (Free Medical Treatment) का लाभ भी इन लाभार्थियों को मिलेगा। योजना का लाभ पाने के लिए इच्छुक व्यक्तियों को एक तय प्रारूप में आवेदन जमा करना होगा। इसके साथ ही उन्हें अपने साथ गिरफ्तार हुए तीन और व्यक्तियों के नामों की पुष्टि करनी होगी और एक हलफनामा देना होगा।
#Odisha Government decides to extend pension and other benefits for individuals detained under MISA, DIR, or DISIR during Emergency period from 25.06.1975 to 21.03.1977. In this regard, ₹20,000/month pension shall be sanctioned in favour of all such living persons. Along with… pic.twitter.com/b9zW4Ip16E
— CMO Odisha (@CMO_Odisha) January 13, 2025
योजना की घोषणा
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 2 जनवरी को एक कार्यक्रम के दौरान इस योजना की घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह पेंशन योजना उन लोगों के लिए लागू होगी जिन्हें आंतरिक सुरक्षा अधिनियम, भारत रक्षा नियम, या भारत की आंतरिक सुरक्षा नियमों के तहत गिरफ्तार किया गया था।
1975 की इमरजेंसी घटना
25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा की थी। इस दौरान संविधान में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था। सरकार का विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई, और व्यापक स्तर पर सामूहिक नसबंदी जैसे कड़े कदम उठाए गए। यह आपातकाल 21 मार्च, 1977 को समाप्त हुआ।