Uniform Civil Code: उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होने जा रही है, जो राज्य के नागरिकों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह कानून सभी धर्मों के लिए एक समान नियम तय करेगा, जिसमें शादी, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और पारिवारिक मामलों से जुड़े प्रावधान शामिल होंगे। यूसीसी लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा और न करने पर जुर्माने का प्रावधान भी रहेगा।
शादी का पंजीकरण अब अनिवार्य
यूसीसी के तहत उत्तराखंड में शादी के पंजीकरण के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे।
- 60 दिनों में पंजीकरण जरूरी: विवाह के 60 दिनों के भीतर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- 2010 के बाद की शादियां: 26 मार्च 2010 के बाद हुई शादियों के लिए छह महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन आवश्यक होगा।
- जुर्माने का प्रावधान: पंजीकरण न कराने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा, जिसकी राशि जल्द तय की जाएगी।
तलाक के लिए समान अधिकार
यूसीसी के लागू होने के बाद तलाक के नियमों में समानता लाई जाएगी।
- पति-पत्नी के लिए समान आधार: तलाक के कारण और प्रक्रिया अब दोनों के लिए समान होगी।
- कोर्ट की प्रक्रिया: तलाक कोर्ट के माध्यम से होगा और इसे यूसीसी पोर्टल पर दर्ज करना आवश्यक होगा।
- हलाला और इद्दत का अंत: हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त कर महिलाओं को अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण
यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी अपना पंजीकरण कराना होगा।
- पंजीकरण अनिवार्य: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- बच्चों के अधिकार: लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को जायज संतान का दर्जा और समान अधिकार मिलेंगे।
महिलाओं के अधिकारों को मिलेगा बढ़ावा
यूसीसी लागू होने से महिलाओं के अधिकारों को मजबूती मिलेगी।
- दूसरी शादी की शर्तें समाप्त: महिलाओं के लिए दूसरी शादी पर कोई भी शर्त लागू नहीं होगी।
- समान तलाक अधिकार: महिलाओं को तलाक के वही अधिकार मिलेंगे, जो पुरुषों को प्राप्त हैं।
2010 का विवाह अधिनियम और नई गाइडलाइंस
उत्तराखंड में 2010 में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किया गया था। हालांकि, नियमों को कड़ाई से लागू नहीं किया गया। यूसीसी के तहत अब इसे सख्ती से लागू किया जाएगा और सभी को अपनी शादी का पंजीकरण कराना होगा।
धार्मिक परंपराओं पर प्रभाव
यूसीसी लागू होने के साथ धार्मिक प्रथाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- शरियत की निकाह रसीद: अब केवल शरियत की निकाह रसीद को मान्यता नहीं दी जाएगी। सभी धर्मों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- धार्मिक नियमों का समावेश: नए प्रावधान सभी धर्मों की परंपराओं को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे।
यूसीसी लागू करने का उद्देश्य
यूसीसी का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता और एकरूपता स्थापित करना है। यह सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा और किसी भी धर्म, लिंग या जाति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करेगा।
शादी के पंजीकरण की आवश्यकता क्यों?
- विवाह पंजीकरण से शादी कानूनी रूप से मान्य होगी।
- महिलाओं को उनके अधिकार और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- पंजीकरण से विवादों को हल करने में आसानी होगी।
यूसीसी के आने वाले प्रभाव
यूसीसी लागू होने से समाज में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को उनके अधिकार सुनिश्चित होंगे।
- लिंग समानता: पति-पत्नी के अधिकार समान होंगे।
- पारदर्शिता: विवाह, तलाक, और लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों में पारदर्शिता आएगी।