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फूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट! जानें नए ताजा रेट्स Edible Oil Prices

भारतीय तेल-तिलहन बाजार में मलेशिया एक्सचेंज और नई फसल के कारण गिरावट दर्ज की गई। सरसों, सोयाबीन, और पामोलीन तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। मूंगफली खल में तेजी से संतुलन बना।

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फूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट! जानें नए ताजा रेट्स Edible Oil Prices
Edible Oil Prices

बुधवार को भारतीय तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश देशी तेलों और तिलहनों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट और शिकागो एक्सचेंज में सुधार ने इस स्थिति को गहराया। सरसों तेल, मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल जैसे प्रमुख उत्पादों के दामों में कमी आई, जबकि मूंगफली तिलहन और सोयाबीन तिलहन के दाम स्थिर रहे।

सरसों तेल-तिलहन में गिरावट के कारण

मलेशिया एक्सचेंज में आई कमी और नई सरसों की फसल के मंडियों में आने की संभावना ने सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण प्रस्तुत किया। इस बार सरसों की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित स्टॉक रिलीज़ ने कीमतों को स्थिर बनाए रखा।

हालांकि, नई फसल आने के साथ कीमतों में और कमी की संभावना जताई जा रही है। बाजार में आपूर्ति सीमित रही लेकिन नई फसल का आगमन इस संतुलन को बदल सकता है।

मूंगफली और बिनौला खल के दाम में तेजी

हाल के दिनों में मूंगफली और बिनौला खल की कीमतों में 15-20 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार हुआ है। इसका सीधा असर मूंगफली और बिनौला तेल की कीमतों पर पड़ा। खलों की कीमतों में वृद्धि ने खाद्य तेलों के गिरते दाम को संतुलित किया। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यह बढ़ोतरी तात्कालिक है और आपूर्ति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने पर स्थिर रह सकती है।

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सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट

सोयाबीन डीगम तेल (Soybean Degum Oil) की आयात लागत लगभग 102 रुपये प्रति किलो है, जबकि आयातक इसे बंदरगाहों पर लगभग 97 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचने को मजबूर हैं। यह स्थिति बाजार में पैसे की कमी और ऊंचे भाव पर लिवालों की कमी के कारण उत्पन्न हुई है। आयातकों और व्यापारियों के लिए यह दबावपूर्ण स्थिति है, जिससे सोयाबीन तेल के दाम में लगातार गिरावट हो रही है।

सीपीओ और पामोलीन तेल में गिरावट

मलेशिया एक्सचेंज की कमजोरी ने कच्चे पामतेल (Crude Palm Oil) और पामोलीन तेल (Palmolein Oil) की कीमतों को भी प्रभावित किया। लिवालों की कमी और ऊंची कीमतों ने इन उत्पादों की मांग को कम कर दिया है। व्यापारियों को अपनी स्टॉक निकालने में कठिनाई हो रही है, जिससे कीमतें और गिर सकती हैं।

कपास उत्पादन में कमी और प्रभाव

इस वर्ष कपास (Cotton) के उत्पादन में कमी दर्ज की गई, जिसका असर तिलहन बाजार पर भी पड़ा। कपास के उत्पादन में गिरावट के कारण तिलहन तेलों की आपूर्ति सीमित हुई, जिससे कीमतों पर दबाव बना। यह स्थिति अगले कुछ महीनों में और जटिल हो सकती है।

मौजूदा तेल-तिलहन कीमतें (प्रति क्विंटल)

  • सरसों तिलहन: 6,550-6,600 रुपये
  • मूंगफली: 5,850-6,175 रुपये
  • मूंगफली तेल (मिल डिलिवरी, गुजरात): 13,850 रुपये
  • सोयाबीन तेल डीगम (कांडला): 9,650 रुपये
  • सीपीओ (एक्स-कांडला): 12,950 रुपये
  • पामोलीन (आरबीडी, दिल्ली): 14,200 रुपये

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