बिहार में करीब 1 करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों को साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं की राशि से वंचित होने का खतरा है। यह समस्या इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि इन बच्चों के बैंक खाते उनके आधार नंबर से लिंक नहीं हैं। शिक्षा विभाग ने जिलों को सख्त निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द सभी बच्चों के बैंक खातों को आधार से लिंक कराएं, ताकि उन्हें समय पर योजनाओं का लाभ मिल सके। लेकिन इस प्रक्रिया की धीमी गति चिंता का कारण बनी हुई है।
शिक्षा विभाग का आदेश और प्रगति की स्थिति
शिक्षा विभाग ने यह साफ कर दिया है कि केवल उन्हीं बच्चों को योजनाओं की राशि दी जाएगी, जिनके बैंक खाते आधार-सीडेड होंगे। विभाग ने स्कूलों में 75% उपस्थिति दर्ज करने वाले बच्चों के लिए योजना का लाभ सुनिश्चित करने की नीति बनाई है। लेकिन वास्तविकता यह है कि 1.5 करोड़ छात्रों में से अब तक सिर्फ 40 लाख बच्चों के खाते ही आधार-सीडेड हो पाए हैं। इस धीमी प्रगति के कारण कई बच्चों के लिए योजनाओं का लाभ अधर में लटका हुआ है।
प्राथमिक और माध्यमिक बच्चों पर प्रभाव
मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, आधार-सीडेड खातों में अधिकांश संख्या माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के बच्चों की है। प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के बच्चों के खातों का आधार से जुड़ाव और भी कम है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन छोटे बच्चों के लिए उनके अभिभावकों के बैंक खाते में राशि भेजने की भी व्यवस्था की गई है।
ई-शिक्षा कोष पोर्टल की भूमिका
बच्चों की सूची तैयार करने और लाभार्थियों का डेटाबेस व्यवस्थित करने के लिए ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर काम किया जा रहा है। अप्रैल से सितंबर 2024 तक स्कूलों में 75% उपस्थिति के आधार पर लाभार्थियों की सूची पोर्टल पर अपलोड की गई है। इसमें शामिल बच्चों की कुल संख्या 1.5 करोड़ है। स्कूल प्रधानाध्यापकों की सहायता से यह प्रक्रिया पूरी की गई। अब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए यह डेटा उपयोग में लाया जाएगा।
बच्चों के लिए योजनाओं की आवश्यकता
सरकार की योजनाएं जैसे साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति, न केवल बच्चों को स्कूल में नियमित उपस्थिति के लिए प्रोत्साहित करती हैं, बल्कि उनकी शिक्षा को आर्थिक रूप से समर्थ बनाती हैं। इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए आधार सीडिंग एक अनिवार्य प्रक्रिया है।