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45537 गाँव इस दिन रहेंगे बंद, कोई अंदर नहीं आएगा कोई बाहर नहीं निकलेगा, ये है वजह

राजस्थान में ‘गांव बंद’ आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून लागू कराने के लिए एक प्रभावी प्रयास है। यह आंदोलन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का मॉडल पेश करता है।

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45537 गाँव इस दिन रहेंगे बंद, कोई अंदर नहीं आएगा कोई बाहर नहीं निकलेगा, ये है वजह
45537 गाँव बंद

देश में किसान आंदोलन का इतिहास पिछले कुछ वर्षों में और अधिक सक्रिय और प्रभावी हुआ है। किसानों ने अपनी मांगों के लिए सशक्त और संगठित होकर अपनी आवाज बुलंद की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी कानून, कर्जमाफी और भूमि अधिग्रहण कानून जैसे मुद्दों पर किसानों ने सरकार को चुनौती दी है। इन आंदोलनों ने कृषि क्षेत्र में गहराई तक छिपी समस्याओं को उजागर किया है।

पिछले साल किसान महापंचायत के नेतृत्व में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को झकझोर कर रख दिया। तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए किसानों ने लगातार प्रदर्शन किया। अब राजस्थान में किसान आंदोलन ने एक नए चरण में प्रवेश किया है, जिसे “गांव बंद” आंदोलन कहा जा रहा है।

‘गाँव बंद’ आंदोलन का उद्देश्य

राजस्थान में 29 जनवरी को ‘गाँव बंद’ आंदोलन का पहला प्रयोग किया जाएगा। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में यह आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी कानून लागू कराने की मांग पर केंद्रित है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और किसानों के हितों की रक्षा करना है।

‘गांव बंद’ आंदोलन के दौरान सभी 45537 गांवों में लोग गांव से बाहर नहीं निकलेंगे और न ही बाहरी वाहनों का उपयोग करेंगे। गांव के उत्पाद गांव में ही बेचे जाएंगे। अगर किसी को इन उत्पादों की जरूरत है, तो उन्हें गांव में आकर ही खरीदना होगा। इसे “कमाई के साथ लड़ाई” का नाम दिया गया है, जो आर्थिक और सामाजिक स्वावलंबन का प्रतीक है।

आंदोलन का स्वरूप और रणनीति

रामपाल जाट के अनुसार, ‘गांव बंद’ आंदोलन राजस्थान के लिए एक अनूठा प्रयोग है। हर घर से आंदोलन का समर्थन हासिल करने के लिए संकल्प भराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस दौरान गांवों की दुकानों और वाहनों का उपयोग ग्रामीणों द्वारा नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गांव का माल अन्यत्र न जाए, और गांव की आंतरिक व्यवस्था मजबूत हो।

इस आंदोलन का उद्देश्य सिर्फ विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को स्वावलंबी बनाना और एक नई आर्थिक व्यवस्था की ओर बढ़ाना है।

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