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JEE-Advanced अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, तीसरा अटेम्प्ट दे सकेंगे ये छात्र

सुप्रीम कोर्ट ने JEE-Advanced 2025 में छात्रों को अतिरिक्त मौका देकर उनकी उम्मीदों को नई दिशा दी है। यह फैसला लाखों छात्रों के लिए शिक्षा और अवसरों के प्रति न्यायसंगत प्रणाली का प्रतीक है।

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JEE-Advanced अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, तीसरा अटेम्प्ट दे सकेंगे ये छात्र
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JEE-Advanced 2025 परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिससे हजारों छात्रों को राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने जेईई-एडवांस्ड में प्रयासों की संख्या को तीन से घटाकर दो करने के फैसले को चुनौती देने वाले छात्रों को एक अतिरिक्त मौका दिया है। यह फैसला उन छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिन्होंने नवंबर 2024 में जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर अपने कोर्स छोड़ दिए थे।

दो परिपत्र और छात्र-हितों पर प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि 5 नवंबर 2024 को जारी प्रेस विज्ञप्ति में JEE-Advanced के लिए पात्रता को तीन प्रयासों तक सीमित किया गया था। लेकिन, 18 नवंबर 2024 को जारी एक नई विज्ञप्ति में इसे घटाकर केवल दो प्रयास कर दिया गया। इस बदलाव ने उन छात्रों के भविष्य को प्रभावित किया, जिन्होंने पहले निर्देश के आधार पर अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ दी थी।

छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का राहत भरा कदम

शीर्ष अदालत ने 5 नवंबर और 18 नवंबर 2024 के बीच अपने कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को JEE-Advanced 2025 में रजिस्ट्रेशन कराने की अनुमति दी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में संयुक्त प्रवेश बोर्ड (JAB) के निर्णय की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी, लेकिन छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखना सर्वोपरि है।

वकीलों की दलीलें और याचिकाओं का आधार

याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि 5 नवंबर 2024 की प्रेस विज्ञप्ति ने छात्रों को गुमराह किया, जिसके परिणामस्वरूप कई छात्रों ने अपने कोर्स छोड़ दिए। याचिकाओं में यह भी कहा गया कि JAB ने पात्रता मानदंड को बदलते समय छात्रों के हितों का ध्यान नहीं रखा। कोर्ट ने इन तर्कों को ध्यान में रखते हुए छात्रों को राहत प्रदान की।

JEE-Advanced के नियमों में बदलाव का महत्व

JEE-Advanced के लिए प्रयासों की संख्या घटाने का JAB का निर्णय लाखों छात्रों के लिए चुनौती बन गया था। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल इन छात्रों के लिए एक नया अवसर लेकर आया है, बल्कि परीक्षा की प्रक्रिया में पारदर्शिता और छात्र-हितों को प्राथमिकता देने की भी मिसाल पेश करता है।

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