हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि अनुकंपा के आधार पर पति की मृत्यु के बाद सरकारी नौकरी पाने वाली बहू अपनी सास को मासिक गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य है। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें महिला को हर महीने अपनी सास को ₹10,000 देने का निर्देश दिया गया था।
इस फैसले ने परिवार कानून और अनुकंपा नियुक्ति की धाराओं के संदर्भ में नई मिसाल कायम की है। यह मामला सास-बहू के रिश्ते के आर्थिक पहलुओं पर कानूनी दृष्टिकोण को उजागर करता है।
फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार
फैमिली कोर्ट ने महिला को यह आदेश दिया था कि वह अपनी सास को ₹10,000 का मासिक भरण-पोषण प्रदान करे। हाईकोर्ट ने इस आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृत कर्मचारी के आश्रित परिवार की भलाई सुनिश्चित करना है। इसलिए, मृत पति के आश्रितों का अधिकार बहू की कमाई पर बनता है।
बहू की दलील और कोर्ट का तर्क
महिला ने तर्क दिया था कि वह खुद अपनी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रही है और उसकी कमाई उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अनुकंपा पर मिली नौकरी से प्राप्त आय का एक हिस्सा मृत कर्मचारी के अन्य आश्रितों की मदद के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता का भी संदेश देता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परिवार के सभी सदस्यों का एक-दूसरे के प्रति कर्तव्य है और आर्थिक सहायता देना इस कर्तव्य का हिस्सा है।
प्रयागराज महाकुंभ से जुड़ा सवाल
इस फैसले के साथ, पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी भी है। 2025 में होने वाले महाकुंभ मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रयागराज में आखिरी महाकुंभ मेला कब आयोजित हुआ था? इसका सही उत्तर है 2019। यह आयोजन भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
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- फैमिली कानून पर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय।