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स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील के साथ मिलेगा दूध, सरकार की बड़ी पहल, पूरी खबर देखें

ओडिशा सरकार ने मिड-डे मील योजना में दूध शामिल कर बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने की पहल की है। इस योजना के तहत विटामिन ए और डी से युक्त फ्लेवर्ड दूध वितरित किया जाएगा। साथ ही, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए वंचित समुदायों को सब्सिडी पर गाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

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स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील के साथ मिलेगा दूध, सरकार की बड़ी पहल, पूरी खबर देखें
सरकार की बड़ी पहल

ओडिशा सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को दूध (Milk) उपलब्ध कराने का फैसला किया है। यह कदम राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की गिफ्टमिल्क योजना (GiftMilk Scheme) के अंतर्गत उठाया गया है। इसका उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर को बेहतर बनाना और कुपोषण की समस्या को कम करना है।

इसके तहत हर स्कूल दिवस पर छात्रों को विटामिन ए और डी से युक्त 200 मिलीलीटर फ्लेवर्ड दूध (Fortified Flavored Milk) प्रदान किया जाएगा। यह दूध एफएसएसएआई मानकों के अनुसार तैयार होगा और इसे एक डेयरी सहकारी समिति के माध्यम से वितरित किया जाएगा।

पायलट प्रोजेक्ट से राज्यव्यापी विस्तार तक

ओडिशा सरकार ने इस योजना की शुरुआत मयूरभंज जिले के रायरंगपुर क्षेत्र में पायलट परियोजना के रूप में की है। वर्तमान में, इस परियोजना के तहत 29 स्कूलों के 1,184 छात्रों को प्रतिदिन दूध प्रदान किया जा रहा है। यह कदम आने वाले समय में पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों तक विस्तारित किया जाएगा। मत्स्य एवं पशु संसाधन विकास मंत्री गोकुलानंद मलिक ने इस योजना को जल्द ही व्यापक स्तर पर लागू करने की बात कही है।

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दूध उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर जोर

ओडिशा में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। राष्ट्रीय पशुधन फंड गोकुल योजना (Rashtriya Pashudhan Fund Gokul Yojana) के तहत, वंचित समुदायों को 3,000 गाएं सब्सिडी पर दी जाएंगी। मुख्यमंत्री की कामधेनु योजना (Kamdhenu Yojana) के तहत लाभार्थियों को 70% सब्सिडी पर दो गाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस परियोजना पर अनुमानित 38 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

ओडिशा में दूध उत्पादन की स्थिति

ओडिशा का वार्षिक दूध उत्पादन 2022-2023 में लगभग 24 लाख टन तक पहुंच चुका है। हालांकि, यह अभी भी प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। राज्य में यह औसत मात्र 144 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 444 ग्राम प्रतिदिन और आईसीएमआर द्वारा सुझाया गया मानक 300 ग्राम प्रतिदिन है। इस पहल से न केवल बच्चों को पोषण मिलेगा, बल्कि राज्य को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी।

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