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सरकार बदलने वाली है ये कानून, ऐसी संपत्तियों को सीधे अपने कब्जे में लेगी सरकार

1968 के 'शत्रु संपत्ति अधिनियम' में बड़े बदलाव की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बढ़ी जरूरत। सरकार 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 9,400 संपत्तियों पर कब्जा कर उन्हें सार्वजनिक हित में उपयोग करने की योजना बना रही है।

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केंद्र सरकार ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’ (Enemy Property Act) में महत्वपूर्ण बदलाव की तैयारी कर रही है, जिससे सरकार को इन संपत्तियों पर और अधिक अधिकार मिल सकें। इन प्रस्तावित संशोधनों के तहत, सरकार सीधे इन संपत्तियों की मालिक बन सकेगी और उन्हें ‘सार्वजनिक हित’ (Public Interest) में उपयोग कर सकेगी।

1968 में बने इस अधिनियम के अनुसार, दुश्मन देशों की संपत्तियां ‘कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी’ (Custodian of Enemy Property) के पास रहती हैं। इन्हें ना तो बेचा जा सकता है और ना ही किसी वारिस को हस्तांतरित किया जा सकता है। 2017 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिसमें ‘शत्रु नागरिक’ (Enemy Citizen) और ‘शत्रु कंपनी’ (Enemy Company) की परिभाषा स्पष्ट की गई थी। लेकिन अब सरकार इसे और सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बदलाव की जरूरत

सूत्रों की मानें तो लखनऊ नगर निगम से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह संशोधन आवश्यक हो गया है। सरकार का उद्देश्य है कि ये संपत्तियां देश के ‘सार्वजनिक हित’ में उपयोग हो सकें। प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, ‘कस्टोडियन’ इन संपत्तियों को बिना किसी कानूनी अड़चन के सरकार को ट्रांसफर करेगा।

कानून की धारा 5 के तहत इन संशोधनों पर चर्चा की जा रही है। खबर है कि इस हफ्ते कैबिनेट में इस विषय पर गंभीरता से विचार होगा और इसे संसद के आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है।

छह साल में ₹3,494.93 करोड़ की शत्रु संपत्तियां बिकीं

पिछले छह सालों में केंद्र सरकार ने 3,494.93 करोड़ रुपये की शत्रु संपत्तियों की बिक्री से राजस्व अर्जित किया है। 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद, उन लोगों की संपत्तियां और व्यवसाय जब्त कर लिए गए जिन्होंने पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली थी।

‘डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स’ (Defense of India Rules) और ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट, 1962’ के तहत इन संपत्तियों को ‘कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी’ के अधीन कर दिया गया। कस्टोडियन का दायित्व इन संपत्तियों का प्रबंधन करना है।

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शत्रु संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया

जनवरी 2018 में सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि पाकिस्तान के नागरिकों की 9,280 और चीन के नागरिकों की 126 शत्रु संपत्तियां भारत में स्थित हैं। उसी साल, सरकार ने 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की शत्रु संपत्तियों के शेयर बेचने की प्रक्रिया को मंजूरी दी थी।

20,232 शेयरधारकों की 996 कंपनियों के कुल 65,075,877 शेयरों को चिन्हित किया गया था। इसके बाद 2020 में, केंद्र सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक ‘ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स’ (Group of Ministers) का गठन किया। इस समूह का कार्य लगभग ₹1 लाख करोड़ की 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों की बिक्री की निगरानी करना है।

शत्रु संपत्तियों के सार्वजनिक हित में उपयोग का मार्ग प्रशस्त

सरकार का उद्देश्य है कि इन संपत्तियों को देश के विकास कार्यों और अन्य सार्वजनिक हित के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाए। इससे न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए संसाधनों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।

इन संशोधनों के बाद सरकार को शत्रु संपत्तियों पर सीधे नियंत्रण मिलेगा, जिससे प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जा सकेगा। कस्टोडियन और अन्य संबंधित निकायों के बीच समन्वय की कमी को दूर करने में भी यह कदम सहायक होगा।

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