डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी) को अगस्त 2023 में संसद में पारित किया गया, जिससे भारत में डिजिटल प्राइवेसी और बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर खासा ध्यान केंद्रित हुआ। इस एक्ट के तहत, अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की परमिशन लेना अनिवार्य होगा। यह प्रावधान बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और उनकी प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
सोशल मीडिया अकाउंट खोलना हुआ मुश्किल
नए नियमों के तहत बच्चों द्वारा सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाना आसान नहीं रहेगा। बच्चों को अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता से अनुमति लेनी होगी, जिसके लिए एक वर्चुअल टोकन का उपयोग किया जाएगा। यह टोकन इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, वेरिफिकेशन के दौरान जेनरेट होगा और अस्थायी होगा। डिजिटल टोकन के माध्यम से बच्चों की उम्र का सत्यापन किया जाएगा, जिससे किसी भी अनधिकृत उपयोग को रोका जा सके।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह सवाल उठाया है कि बच्चे अपनी उम्र को कम क्यों बताएंगे जब उन्हें अकाउंट बनाना होगा। यह नियम बच्चों के झूठी उम्र दर्ज करने पर प्रभावी नहीं हो सकता, जिससे इस व्यवस्था की व्यावहारिकता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर नजर रहेगी सरकार
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाई है। नए नियम इन चिंताओं का समाधान करने का प्रयास करते हैं। माता-पिता की सहमति सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह प्रक्रिया सरल और अस्थायी होगी, जिससे प्राइवेसी के उल्लंघन की संभावना न्यूनतम रहेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है कि यह प्रणाली माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल होगी। इससे प्राइवेसी संबंधी किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय
आईटी विशेषज्ञ इस एक्ट की व्यावहारिकता को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि नियम तभी प्रभावी होंगे जब बच्चों की वास्तविक उम्र का सही-सही सत्यापन हो। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि कई बच्चे फर्जी जानकारी देकर सोशल मीडिया अकाउंट बनाते हैं। ऐसे में केवल माता-पिता की सहमति मांगना इस समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हो सकता।
जनता की राय और आगे की प्रक्रिया
सरकार ने इस मसौदे पर जनता की राय मांगी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नए नियम व्यावहारिक और प्रभावी हों। 18 फरवरी तक आम जनता अपनी राय साझा कर सकती है। सभी सुझावों पर विचार करने के बाद ही सरकार अंतिम फैसला लेगी और इन्हें लागू किया जाएगा।