![किराए से कमाई करने वालों के लिए खुशखबरी! बजट 2025 में वित्त मंत्री ने दिया बड़ा तोहफा](https://rcisgbau.in/wp-content/uploads/2025/02/Good-News-For-Those-Who-Earn-From-Rent-1024x576.jpg)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए किराये पर लगने वाले टीडीएस (TDS – Tax Deducted at Source) की वार्षिक सीमा बढ़ाने की घोषणा की है। यह बदलाव उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है जो मकान किराये (House Rent) पर देकर अतिरिक्त कमाई करते हैं। इस कदम से किरायेदारों और मकान मालिकों दोनों को लाभ होगा।
वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद अब किरायेदारों को मकान मालिक को भुगतान किए जाने वाले किराये पर टीडीएस कटौती की चिंता कम होगी। इससे रियल एस्टेट (Real Estate) सेक्टर को भी सकारात्मक प्रभाव मिलेगा और किराये के बाजार में सुधार होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती मिलेगी और किराये के मकानों में निवेश बढ़ेगा। बढ़ी हुई टीडीएस सीमा से मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों को राहत मिलेगी। सरकार के इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में किराये के बाजार को और सशक्त बनाएगा।
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क्या है मौजूदा टीडीएस नियम?
फिलहाल, यदि कोई व्यक्ति या कंपनी किसी मकान का किराया देता है और यह राशि एक निश्चित सीमा से अधिक होती है, तो उसे मकान मालिक के किराये पर टीडीएस काटकर जमा करना होता है। यह नियम कर चोरी को रोकने और सरकार की आय को सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था, वर्तमान में किराये पर टीडीएस की सीमा एक निश्चित राशि तक थी, लेकिन इसे अब बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री ने इस बढ़ी हुई सीमा की घोषणा करते हुए कहा कि यह निर्णय मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है।
नए बजट में क्या बदलाव किया गया?
बजट 2025-26 में वित्त मंत्री ने टीडीएस की वार्षिक सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे पहले, यदि किराये की राशि एक निश्चित स्तर से अधिक होती थी, तो उस पर 10% तक टीडीएस काटा जाता था। लेकिन अब नई सीमा बढ़ाए जाने से छोटे और मध्यम वर्ग के मकान मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
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रियल एस्टेट सेक्टर पर असर
रियल एस्टेट सेक्टर के विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से किराये के लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ेगी और अधिक लोगों को निवेश के लिए प्रेरित किया जाएगा। भारत में बढ़ती अर्बनाइजेशन (Urbanization) और रेंटल हाउसिंग (Rental Housing) की मांग को देखते हुए यह कदम रियल एस्टेट मार्केट को और मजबूत कर सकता है, इसके अलावा, यह नियम उन लोगों को भी फायदा पहुंचाएगा जो अपने मकानों को किराये पर देकर नियमित आय प्राप्त करते हैं। सरकार का यह कदम किराये के मकानों में निवेश को प्रोत्साहित करेगा और बाजार में संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि टीडीएस की सीमा बढ़ने से छोटे मकान मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी। उनका कहना है कि यह बदलाव सरकार की टैक्स प्रणाली को सरल बनाने के प्रयासों का हिस्सा है। इससे रेंटल हाउसिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी और किराये के लेन-देन में पारदर्शिता आएगी, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह फैसला करदाताओं की शिकायतों को दूर करने में सहायक होगा और टैक्स फाइलिंग (Tax Filing) की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
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किरायेदारों को होगा फायदा
यह फैसला किरायेदारों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कम टीडीएस कटौती का मतलब है कि उन्हें मकान मालिकों को पूरा किराया देने में राहत मिलेगी। पहले, जब टीडीएस ज्यादा था, तो किरायेदारों को इसकी भरपाई के लिए अतिरिक्त राशि देनी पड़ती थी, जिससे उनके मासिक बजट पर असर पड़ता था।
सरकार के इस फैसले से क्या होंगे फायदे?
- मकान मालिकों को राहत – अब उन्हें टीडीएस कटौती के चलते अतिरिक्त कर देने की चिंता कम होगी।
- रियल एस्टेट में निवेश को बढ़ावा – लोग अब मकान खरीदकर किराये पर देने के लिए अधिक इच्छुक होंगे।
- टैक्स सिस्टम होगा सरल – करदाताओं के लिए टैक्स कंप्लायंस आसान होगा।
- किरायेदारों के लिए लाभदायक – कम टीडीएस कटौती से उन्हें आर्थिक राहत मिलेगी।
- रेंटल हाउसिंग मार्केट में सुधार – पारदर्शिता बढ़ने से किराये के मकानों की उपलब्धता बेहतर होगी।
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क्या यह कदम रियल एस्टेट को बढ़ावा देगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह पहल रियल एस्टेट मार्केट में सुधार लाने में मदद करेगी। भारत में किराये पर रहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और सरकार का यह कदम उन्हें और मकान मालिकों को राहत देगा, इसके साथ ही, सरकार का यह कदम मिडिल क्लास और लोअर इनकम ग्रुप (LIG) के लोगों के लिए सस्ते किराये के मकानों की उपलब्धता को भी बढ़ावा दे सकता है।