भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है, जिससे भविष्य में एक गंभीर जल संकट का खतरा मंडरा रहा है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लगातार नई योजनाएं बना रही है। इन्हीं योजनाओं में से एक है ड्रिप सिंचाई तकनीक। ड्रिप सिंचाई में पानी को पौधों की जड़ों में बूंद-बूंद करके पहुंचाया जाता है, जिससे पानी की खपत पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 70% तक कम हो जाती है। यह न केवल जल संरक्षण में मदद करता है, बल्कि फसल उत्पादन को भी बढ़ावा देता है।
ड्रिप सिंचाई से फसल पैदावार में होगी 20-25% वृद्धि
जिला उद्यान अधिकारी रश्मि शर्मा के अनुसार, ड्रिप सिंचाई की जल उपयोग दक्षता 90% तक होती है। इसके उपयोग से फसल की पैदावार में 20-25% तक वृद्धि दर्ज की गई है। यह विधि खरपतवार नियंत्रण में मदद करती है और मृदा अपरदन को भी कम करती है। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई के लिए सरकार किसानों को 90% तक की सब्सिडी प्रदान करती है।
2 हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को 90% सब्सिडी और उससे अधिक भूमि वाले किसानों को 80% सब्सिडी दी जाती है। इस तकनीक से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन भी बेहतर होता है।
किन फसलों के लिए उपयुक्त है ड्रिप सिंचाई?
ड्रिप सिंचाई गन्ना, केला, और पपीता जैसी फसलों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस तकनीक से खरपतवार कम होते हैं, जिससे किसान को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई प्रणाली में खाद डालने की सुविधा भी उपलब्ध होती है। वेंचुरी उपकरण का उपयोग करके खेत में आसानी से खाद डाली जा सकती है, जिससे उत्पादन लागत में भी कमी आती है।
ड्रिप सिंचाई सब्सिडी का लाभ कैसे लें?
ड्रिप सिंचाई पर मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसानों को UPMIP पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, प्रमाणित खतौनी (6 महीने से पुरानी नहीं), और पासपोर्ट साइज फोटो अनिवार्य हैं। सरकार यह सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में जमा करती है।