मिडिल क्लास परिवारों से आने वाले और सीमित आय में जीवन यापन करने वाले लोग अक्सर रिटायरमेंट के लिए करोड़ों रुपये का कॉरपस तैयार करने के बारे में सोचते हैं। हालांकि, सही इन्वेस्टमेंट प्लानिंग और रणनीति के जरिए यह लक्ष्य न केवल हासिल किया जा सकता है, बल्कि इसे एक निश्चित प्रक्रिया के तहत साकार किया जा सकता है। यह लेख आपको बताएगा कि SIP और कंपाउंडिंग के जरिए 50 करोड़ रुपये तक का फंड कैसे बनाया जा सकता है।
निवेश की शुरुआत
अगर किसी व्यक्ति की उम्र 23 साल है और उसने नौकरी करना अभी-अभी शुरू किया है, तो उसके पास 60 साल की उम्र तक 37 साल की वर्किंग लाइफ होती है। मान लीजिए कि इस व्यक्ति की शुरुआती सैलरी 60,000 रुपये प्रति माह है। अगर वह अपनी आय का 22,000 रुपये प्रति महीने SIP (Systematic Investment Plan) में निवेश करता है, तो 12% के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के आधार पर वह आसानी से 50 करोड़ रुपये का फंड तैयार कर सकता है।
22,000 रुपये की मासिक SIP से सालभर में 2,64,000 रुपये जमा होंगे। 12% की कंपाउंडिंग के हिसाब से यह राशि पहले साल में ही बढ़कर 2,81,000 रुपये हो जाएगी। इस प्रकार कंपाउंडिंग का प्रभाव निवेश के शुरुआती साल से ही दिखाई देने लगता है।
10 साल में कैसे बढ़ेगा आपका फंड?
10 साल के बाद, बढ़ती सैलरी के अनुसार, आप अपनी मासिक SIP को 51,875 रुपये तक बढ़ा सकते हैं। इस रणनीति के तहत आपका कुल फंड 74,23,000 रुपये तक पहुंच जाएगा। कंपाउंडिंग का यह प्रभाव दिखाता है कि नियमित निवेश और अनुशासन के साथ आप बड़े लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
20 साल में 4 करोड़ से अधिक का फंड
20 साल बाद, आपकी मंथली SIP बढ़कर 1,34,550 रुपये हो जाएगी। इस अवधि तक आपका कुल फंड बढ़कर 4 करोड़ 37 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा। यह आंकड़ा बताता है कि समय और निवेश की मात्रा का तालमेल कितना महत्वपूर्ण है।
30 साल में 19 करोड़ से अधिक की पूंजी
30 साल बाद, बढ़ती सैलरी के आधार पर, आपकी मंथली SIP 3,48,000 रुपये तक हो सकती है। इस स्तर पर आपका फंड 19 करोड़ 43 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अपने लक्ष्य तक पहुंचें, अपनी SIP को सैलरी ग्रोथ के अनुसार बढ़ाना बेहद आवश्यक है।
रिटायरमेंट के समय 50 करोड़ का लक्ष्य
37 साल बाद, जब आपकी उम्र 60 साल हो जाएगी, तब तक आप हर महीने 6,80,000 रुपये SIP में निवेश कर रहे होंगे। इस रणनीति के तहत आपका कुल फंड 51 करोड़ रुपये को पार कर चुका होगा। यह राशि न केवल आपकी रिटायरमेंट की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि आपको वित्तीय स्वतंत्रता भी प्रदान करेगी।
कंपाउंडिंग की शक्ति और अनुशासन की भूमिका
कंपाउंडिंग (Compounding) को अक्सर “चमत्कार” कहा जाता है, खासकर जब लंबे समय तक निवेश किया जाए। यह न केवल आपकी पूंजी को तेजी से बढ़ाता है, बल्कि आपकी आय के अनुपात में निवेश को भी अधिक प्रभावी बनाता है। इसके अलावा, अनुशासन और निवेश की निरंतरता इस पूरी प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।