![हाई कोर्ट का बड़ा फैसला! पत्नी की अलग रहने की ज़िद पड़ी भारी, कोर्ट ने दिलवाया तलाक](https://rcisgbau.in/wp-content/uploads/2025/02/Chhattisgarh-1024x576.jpg)
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पति को तलाक की मंजूरी दी है, जिसमें पत्नी द्वारा पति पर अपने माता-पिता से अलग रहने का दबाव डालना क्रूरता माना गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बेटे का अपने माता-पिता की देखभाल करना नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है, और पत्नी द्वारा इस जिम्मेदारी में बाधा डालना अनुचित है।
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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह निर्णय वैवाहिक संबंधों में पारिवारिक जिम्मेदारियों के महत्व को रेखांकित करता है। यह फैसला उन मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करेगा जहां पति या पत्नी अपने साथी को परिवार से दूर करने का प्रयास करते हैं, और यह स्पष्ट करता है कि ऐसे प्रयास वैवाहिक क्रूरता के रूप में माने जा सकते हैं।
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मामला और कोर्ट की कार्यवाही
इस मामले में, पति ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी उस पर अपने माता-पिता से अलग रहने का दबाव बना रही थी। पति ने इसे मानसिक क्रूरता के रूप में प्रस्तुत किया और तलाक की मांग की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पत्नी का यह व्यवहार पति के प्रति क्रूरता की श्रेणी में आता है।
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कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय समाज में बेटे का अपने माता-पिता की देखभाल करना एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। पत्नी द्वारा पति को इस कर्तव्य से विमुख करने का प्रयास करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह पति के प्रति क्रूरता भी है। इसलिए, कोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दी।
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सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस फैसले का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यह पति-पत्नी के बीच कर्तव्यों और अधिकारों के संतुलन को स्पष्ट करता है। कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे के परिवारों के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी महत्वपूर्ण हैं, और किसी भी साथी द्वारा इन जिम्मेदारियों में बाधा डालना वैवाहिक संबंधों के लिए हानिकारक हो सकता है।