उत्तर प्रदेश में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) का आरक्षण दिलाने के प्रयासों को नया आयाम मिल रहा है। उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचनाओं को रद करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। सरकार की योजना मझवार जाति समूह की उपजातियों को परिभाषित कर केंद्र को प्रस्ताव भेजने की है, जिससे इन जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके।
योगी सरकार का कदम और 17 जातियों की मांग
उत्तर प्रदेश की 17 जातियां, जिनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी, और मछुवा शामिल हैं, लंबे समय से अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल होने की मांग कर रही हैं। इन जातियों को आरक्षण का लाभ दिलाने की मांग दशकों से उठती रही है, लेकिन इसे कानूनी और तकनीकी कारणों से अब तक लागू नहीं किया जा सका।
सपा सरकार के दौरान जारी अधिसूचनाएं अदालत में असंवैधानिक घोषित हो गईं, जिसके बाद योगी सरकार ने नए सिरे से इस प्रक्रिया को शुरू करने का फैसला किया।
मझवार जाति समूह पर केंद्रित रणनीति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्री डॉ. संजय निषाद और एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के साथ बैठक में मझवार जाति समूह की उपजातियों को परिभाषित करने पर जोर दिया। उत्तराखंड में शिल्पकार जाति को परिभाषित करने के उदाहरण को ध्यान में रखते हुए, योगी सरकार उत्तर प्रदेश में मझवार जाति समूह के लिए ऐसा ही प्रस्ताव तैयार करेगी।
मंत्री डॉ. संजय निषाद ने मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट किया कि मछुवा समुदाय की उपजातियां पहले से अनुसूचित जाति की सूची में मझवार और तुरैहा के रूप में दर्ज हैं। इसे संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के तहत परिभाषित करना होगा।
तकनीकी पहलुओं पर ध्यान
मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को निर्देश दिया कि मझवार आरक्षण की प्रक्रिया में मौजूद सभी तकनीकी खामियों को दूर किया जाए। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार तक भेजने की तैयारी तेजी से की जा रही है। यह कदम समाज के उन वर्गों को आरक्षण दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा, जो आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन से जूझ रहे हैं।