केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में अपने संबद्ध स्कूलों को एक निर्देश जारी किया है, जिसके तहत अपार आईडी (APAAR ID) को स्टूडेंट्स की मुख्य पहचान के रूप में लागू करने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) और डिजिटल इंडिया अभियान के तहत उठाया गया है।
नीट, जेईई और अन्य प्रमुख परीक्षाओं में फॉर्म भरने में सुविधा के लिए इसे अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब इसकी प्रक्रिया को और सरल बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। सीबीएसई ने इसके लिए एक ऑनलाइन मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म ‘अपाल आईडी मॉनिटरिंग (AIM)’ और एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (1800-889-3511) भी लॉन्च किया है, ताकि स्कूल और छात्र आसानी से इसका उपयोग कर सकें।
छह चरणों में अपार आईडी क्रियान्वयन
सीबीएसई ने अपार आईडी को लागू करने के लिए छह चरणों की योजना तैयार की है। ये चरण स्कूलों और छात्रों के लिए इसे आसान और पारदर्शी बनाते हैं:
1. पीटीएम का आयोजन
स्कूलों को माता-पिता और छात्रों के साथ पैरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) आयोजित करनी होगी। इसमें अपार आईडी के लाभों और जरूरतों को विस्तार से समझाया जाएगा।
2. सहमति फॉर्म का वितरण
स्कूल अभिभावकों को सहमति फॉर्म वितरित करेंगे। यह फॉर्म आधार डिटेल्स को उपयोग करने के लिए अभिभावकों की अनुमति लेगा।
3. डेटा सत्यापन
स्कूल अधिकारी यूडीआईएसई+ पोर्टल (UDISE+ Portal) पर छात्रों की जानकारी जैसे नाम, जन्म तिथि और आधार नंबर की पुष्टि करेंगे।
4. अपार आईडी जनरेशन
डिजिलॉकर से लिंक करने के लिए छात्रों की अपार आईडी जनरेट की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने पर अभिभावकों को एसएमएस के जरिए सूचित किया जाएगा।
5. वितरण और एकीकरण
स्कूल छात्रों और अभिभावकों को अपार आईडी प्रदान करेंगे और इसे उनकी शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
6. त्रुटियों का निवारण
किसी गलती की स्थिति में, स्कूल छात्रों और अभिभावकों को सुधार के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) भेजेंगे।
अपार आईडी क्या है और क्यों है जरूरी?
अपार आईडी (Automatic Permanent Academic Account Registry) छात्रों के शैक्षणिक जीवन की एक स्थायी और डिजिटल पहचान है। इसे छात्रों की पूरी शैक्षिक यात्रा का दस्तावेजीकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह आईडी छात्रों के नाम, लिंग, जन्म तिथि, पते, माता-पिता के नाम, शैक्षणिक उपलब्धियों, खेल गतिविधियों, और यहां तक कि स्वास्थ्य संबंधी विवरणों को भी सुरक्षित रखेगा।
अपार आईडी का उद्देश्य न केवल छात्रों की पहचान को डिजिटल और संगठित करना है, बल्कि यह फर्जीवाड़े को रोकने और विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने में भी मदद करेगा।
अपार आईडी और आधार कार्ड में अंतर
हालांकि अपार आईडी और आधार कार्ड (Aadhaar Card) दोनों में 12 अंकों का कोड होता है, लेकिन इनका उद्देश्य अलग है। आधार कार्ड भारतीय नागरिकों की पहचान और पते का प्रमाण है, जबकि अपार आईडी एक छात्र की शैक्षणिक यात्रा को ट्रैक करने के लिए है।
आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं का लाभ देने में उपयोग किया जाता है, जबकि अपार आईडी छात्रों के शिक्षा से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को एकीकृत और सुरक्षित रखने के लिए है।
अपार आईडी के लाभ
1. फर्जीवाड़े पर रोक
अपार आईडी से फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज और डुप्लीकेट मार्कशीट जैसे मामलों को रोका जा सकेगा। इससे योग्य छात्रों को उनके अधिकार मिलेंगे।
2. एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता
इससे नीट, जेईई मेन और सीयूईटी जैसी परीक्षाओं में छात्रों की वेरिफिकेशन प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
3. सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ
छात्रवृत्ति, स्कॉलरशिप और अन्य योजनाओं का लाभ सीधे छात्रों तक पहुंचेगा, जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना नहीं होगी।
4. डिजिटल दस्तावेज़ संग्रह
अपार आईडी डिजिलॉकर से जुड़ा होगा, जहां छात्रों के सभी शैक्षणिक दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध रहेंगे।
5. स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की निगरानी
यह ड्रॉपआउट छात्रों की पहचान करने और उन्हें मुख्यधारा में वापस लाने में सहायक होगा।
6. शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंच
छात्र आसानी से अपनी क्रेडिट स्कोर, स्कॉलरशिप और अन्य सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे।
कैसे बनेगी आपकी अपार आईडी?
अपार आईडी के निर्माण की प्रक्रिया स्कूलों द्वारा पूरी की जाएगी। इसके लिए छात्र का आधार कार्ड और माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। स्कूल apaar.education.gov.in पोर्टल पर अपार आईडी का रजिस्ट्रेशन करेंगे।