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Budget 2025 में ‘पाप टैक्स’ को बढ़ाएंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण? क्या होता है ये जानें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से सिन टैक्स पर नई घोषणा की उम्मीद, तम्बाकू और शराब पर जीएसटी दर 35% तक बढ़ सकती है। क्या इससे घटेगी खपत और बढ़ेगा सरकारी राजस्व? जानिए संभावित असर।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करने जा रही हैं। हर साल की तरह, इस बार भी बजट को लेकर कई अटकलें और चर्चाएं हो रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख विषयों में से एक है सिन टैक्स (Sin Tax)। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में सिन टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया था, जबकि इसके तहत शराब, सिगरेट और तम्बाकू जैसे उत्पादों पर भारी टैक्स लगाए जाते हैं। ये टैक्स न केवल उपभोग को हतोत्साहित करने के लिए, बल्कि सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए फंड जुटाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

पिछले बजट में, सरकार ने पान मसाला, सिगार और चबाने वाले तम्बाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ सिगरेट पर NCCD को 15-16 प्रतिशत बढ़ाया था। हालांकि, सिगरेट पर शुल्क को स्थिर रखा गया था। इससे सरकार के रेवेन्यू सृजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है।

सिन टैक्स क्या है?

सिन टैक्स (Sin Tax) उन उत्पादों और सेवाओं पर लगाया जाने वाला टैक्स है, जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है। इसके तहत तम्बाकू, शराब, सिगरेट और जुआ जैसे उत्पाद आते हैं। इस टैक्स का उद्देश्य न केवल इन उत्पादों की खपत को महंगा बनाकर कम करना है, बल्कि इसके जरिए सरकार को एक स्थिर राजस्व का स्रोत भी प्रदान करना है।

मार्च 2019 में अरविंद सुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने एकीकृत जीएसटी प्रणाली में कुछ वस्तुओं पर 40 प्रतिशत का सिन टैक्स लगाने की सिफारिश की थी। यह सुझाव इस विचार पर आधारित था कि ऐसे टैक्स से समाज को हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकता है।

नए टैक्स का प्रस्ताव और संभावनाएं

हालांकि आगामी बजट में अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं है, लेकिन चर्चा यह है कि सिन गुड्स पर 35 प्रतिशत जीएसटी दर लागू की जा सकती है। यह दर पहली बार दिसंबर 2024 में मंत्रियों के एक समूह (GoM) द्वारा वातित पेय पदार्थों, सिगरेट और तम्बाकू उत्पादों पर अनुशंसित की गई थी। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इन उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे खपत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

भारत ने 182 WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि तम्बाकू पर कराधान रिटेल प्राइस के कम से कम 75 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए। वर्तमान में, भारत में तम्बाकू पर कर इस प्रकार हैं:

  • सिगरेट: 52.7 प्रतिशत
  • चबाने वाला तम्बाकू: 63.8 प्रतिशत
  • बीड़ी: 22 प्रतिशत

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत अभी भी वैश्विक मानकों को पूरी तरह से नहीं अपनाता है।

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सिन टैक्स क्यों है जरूरी?

विशेषज्ञों का मानना है कि तम्बाकू और शराब जैसे उत्पादों पर टैक्स में वृद्धि से खपत में भारी गिरावट नहीं आती है। इसके बजाय, यह सरकार के लिए एक स्थिर और प्रभावी राजस्व स्रोत बनता है।

  • सामाजिक प्रभाव: सिन टैक्स का मुख्य उद्देश्य उपभोग को हतोत्साहित करना है, विशेष रूप से निचले आय वर्ग और युवा पीढ़ी के बीच।
  • राजस्व सृजन: सिन टैक्स से जुटाए गए फंड का उपयोग स्वास्थ्य कार्यक्रमों, नशामुक्ति अभियानों और आपदा राहत खर्च के लिए किया जा सकता है।

हालांकि, मौजूदा टैक्स पॉलिसी अभी भी सिन टैक्स को एक प्रभावी पॉलिसी टूल के रूप में पूरी क्षमता से लागू करने में असमर्थ है।

वैश्विक मानकों के अनुरूप टैक्स सुधार

सिन गुड्स पर टैक्स बढ़ाने से न केवल सरकार के राजस्व में सुधार होगा, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देगा। WHO के मानकों के अनुसार, तम्बाकू उत्पादों पर 75 प्रतिशत कर लगाने की आवश्यकता है, जबकि भारत में वर्तमान दरें अपेक्षाकृत कम हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि:

  1. तम्बाकू उत्पादों पर कर बढ़ाया जाए।
  2. इन करों से जुटाए गए राजस्व का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के लिए किया जाए।
  3. सिन टैक्स को जीएसटी के तहत समान रूप से लागू किया जाए, ताकि उत्पादकों को खामियों का लाभ न मिल सके।

क्या होगा आगामी बजट का प्रभाव?

आगामी बजट में सिन टैक्स पर कोई बड़ा कदम सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाएगा। अगर 35 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होती है, तो यह न केवल उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी करेगा, बल्कि खपत को और अधिक हतोत्साहित करेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को सिन टैक्स को एक प्रभावी नीति उपकरण के रूप में अपनाना चाहिए, ताकि बढ़ते स्वास्थ्य खर्च और सामाजिक समस्याओं से निपटा जा सके।

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