बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण और जमाबंदी प्रक्रिया में बड़ा कदम उठाते हुए डिजिटाइजेशन और सुधार की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जमाबंदियों को डिजिटाइज्ड करते हुए भूमि मालिकों के लिए इसे और अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने के लिए कई नए प्रावधान किए हैं।
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह द्वारा प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटियों को प्राथमिकता के साथ ठीक किया जाए। साथ ही, इस प्रक्रिया में रैयतों (भूमि धारकों) को अधिक राहत देने के लिए ऑफलाइन आवेदन का विकल्प जारी रखा गया है।
डिजिटाइज्ड जमाबंदी में सुधार और परिमार्जन प्लस पोर्टल का महत्व
राजस्व मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल के अनुसार, जमाबंदी में बढ़ती शिकायतों के निवारण के लिए परिमार्जन प्लस पोर्टल (Parimarjan Plus Portal) को जल्द ही ऑनलाइन लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, जब तक यह पोर्टल पूरी तरह से कार्यरत नहीं हो जाता, तब तक रैयत ऑफलाइन आवेदन के माध्यम से जमाबंदी में सुधार करवा सकते हैं।
डिजिटाइजेशन के दौरान, यदि किसी जमाबंदी की प्रविष्टि गलत मौजा में दर्ज हो गई हो, तो अंचलाधिकारी स्वतः इसे सुधार सकते हैं या प्राप्त आवेदन के आधार पर सही मौजा में प्रविष्टि सुनिश्चित करेंगे। इस कदम से रैयतों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने में मदद मिलेगी।
ई-जमाबंदी में नई जमाबंदी का समावेश
डिजिटाइजेशन प्रक्रिया को और मजबूत बनाने के लिए ई-जमाबंदी (E-Jamabandi) प्रणाली में नई जमाबंदी को शामिल करने का विकल्प भी दिया गया है। यदि किसी दो या अधिक मौजों की जमाबंदी को एक मौजा में दर्ज कर दिया गया है, तो इसे भी सही किया जाएगा। यह कदम भूमि रिकॉर्ड को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
भू-अर्जन मामलों में ऑफलाइन एलपीसी निर्गत की समय सीमा बढ़ी
भू-अर्जन से संबंधित मामलों में ऑफलाइन एलपीसी (Land Possession Certificate) निर्गत करने की समय सीमा को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह आदेश सभी समाहर्ताओं और अंचल कार्यालयों को भेज दिया है।
ऑनलाइन प्रक्रिया के साथ-साथ, विशेष परिस्थितियों में ऑफलाइन एलपीसी भी जारी किया जा रहा है। भू-अर्जन के मामलों में यह सुविधा विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि इससे भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज़ों को समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलती है।
भूमि सर्वेक्षण और डिजिटाइजेशन की प्रगति
बिहार सरकार द्वारा भूमि सर्वेक्षण और डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया को व्यापक रूप से लागू किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत, राज्य की सभी भूमि जमाबंदियों को डिजिटाइज कर सार्वजनिक किया जा रहा है। यह कदम भूमि धारकों को उनके रिकॉर्ड तक आसान पहुंच प्रदान करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
डिजिटाइजेशन के लाभ:
- भूमि विवादों में कमी
- सही रिकॉर्ड तक आसान पहुंच
- पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी
- भूमि मालिकों के लिए सरकारी प्रक्रियाओं में सरलता
रैयतों के लिए राहत भरे कदम
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भूमि सुधार प्रक्रिया में रैयतों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। नए दिशा-निर्देश के तहत, अंचलाधिकारी, राजस्व अधिकारी और कर्मचारी इस प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। जमाबंदी में सुधार और एलपीसी निर्गत करने से संबंधित सभी शिकायतों का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।