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अब हफ्ते में 5 दिन ही खुलेंगे बैंक, कर्मचारियों की होगी 2 दिन छुट्टी? Bank 5 Day Working

AIBOC ने 24-25 फरवरी को हड़ताल की घोषणा की है, जिसमें 5 डे वर्किंग और DFS के दिशा-निर्देशों की वापसी प्रमुख मुद्दे हैं। अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो बैंकिंग सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

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अब हफ्ते में 5 दिन ही खुलेंगे बैंक, कर्मचारियों की होगी 2 दिन छुट्टी? Bank 5 Day Working
Bank 5 Day Working

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (AIBOC) ने अपनी प्रमुख मांगों को लेकर 24 और 25 फरवरी को हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। संगठन का कहना है कि बैंक कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की जा रही है, और लंबे समय से लंबित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता है। उनकी मांगों में 5 डे वर्किंग (Bank 5 Day Working), सभी कैडर में पर्याप्त भर्ती और हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों को वापस लेने की मुख्य बातें शामिल हैं।

सख्त कदम उठाने की चेतावनी

AIBOC ने साफ किया है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे और सख्त कदम उठाने को बाध्य होंगे। संगठन ने वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services, DFS) पर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) की स्वायत्तता को कमजोर करने और उनके माइक्रोमैनेजमेंट का आरोप लगाया है। यूनियन का कहना है कि हड़ताल का नोटिस देकर वे अपनी मांगों को लेकर आंदोलनात्मक गतिविधियों की शुरुआत करेंगे।

AIBOC की प्रमुख मांगें

AIBOC ने निम्नलिखित मांगों को जोर-शोर से उठाया है:

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  1. 5 डे वर्किंग वीक: बैंक कर्मचारियों के लिए सप्ताह में केवल पांच दिन काम की व्यवस्था लागू की जाए।
  2. पर्याप्त भर्ती: सभी कैडर में कर्मचारियों की पर्याप्त भर्ती सुनिश्चित की जाए।
  3. परफॉर्मेंस रिव्यू संबंधी दिशानिर्देशों की वापसी: DFS द्वारा जारी परफॉर्मेंस रिव्यू और परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) से जुड़े हालिया निर्देशों को तत्काल वापस लिया जाए।
  4. ऑफिसर डायरेक्टर की नियुक्ति: पब्लिक सेक्टर बैंकों में कर्मचारी और अधिकारी निदेशकों की नियुक्ति तुरंत की जाए।
  5. पेंडिंग मुद्दों का समाधान: भारतीय बैंक संघ (Indian Banks Association, IBA) के साथ लंबित मुद्दों को सुलझाया जाए।

दिशानिर्देशों को लेकर आपत्ति

AIBOC का कहना है कि DFS के हालिया निर्देश बैंक कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और उनके बीच विभाजन पैदा कर सकते हैं। यूनियन का दावा है कि ऐसे निर्देश कर्मचारियों के अधिकारों और उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। संगठन ने DFS पर इन निर्देशों को तुरंत वापस लेने और बैंकिंग प्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाने की मांग की है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्वायत्तता का मुद्दा

AIBOC ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) की स्वायत्तता पर हो रहे प्रभाव को लेकर भी सवाल उठाए हैं। यूनियन का आरोप है कि DFS द्वारा किए जा रहे माइक्रोमैनेजमेंट से इन बैंकों के स्वतंत्र संचालन पर प्रभाव पड़ रहा है। यह न केवल बैंकों के कर्मचारियों बल्कि ग्राहकों के अनुभव को भी बाधित कर सकता है।

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