भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले लोक देवता देवनारायण का 1113वां जयंती महोत्सव इस वर्ष 3 एवं 4 फरवरी को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व गुर्जर समाज सहित संपूर्ण हिंदू समाज के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की सूर्य सप्तमी के अवसर पर देवनारायण जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर देशभर में विशेषकर राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भव्य आयोजन किए जाते हैं। श्रद्धालु झांकियां निकालते हैं, शोभायात्राएं आयोजित होती हैं और जगह-जगह पूजा-पाठ एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है।
देव नारायण जयंती के उपलक्ष्य में अवकाश रहेगा
राजस्थान सरकार ने इस शुभ अवसर पर प्रदेश के सभी सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में अवकाश की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 3 फरवरी को प्रदेश के सभी स्कूल बंद रहेंगे, जिससे श्रद्धालु इस धार्मिक आयोजन में पूरे हर्षोल्लास के साथ भाग ले सकें। इससे पूर्व भी राज्य सरकार द्वारा देवनारायण जयंती को राजकीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई थी, जिसे समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिला था।
भगवान देवनारायण का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
भगवान देवनारायण का जन्म एक गुर्जर शासक परिवार में हुआ था। उन्होंने भीलवाड़ा (मेवाड़) के मंडल क्षेत्र में स्थित झील की स्थापना की थी। उनके जीवन की अनेक घटनाएं दिव्यता और लोक कल्याण से परिपूर्ण हैं। उनकी चमत्कारी शक्तियों और अद्वितीय कार्यों के कारण उन्हें विष्णु के अवतार के रूप में पूजनीय माना गया। लोक कथाओं में वर्णन है कि उन्होंने समाज की रक्षा के लिए कई चमत्कार किए और जनकल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
गुर्जर समाज के अलावा विभिन्न समुदायों के लोग भी भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं। विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इनकी व्यापक मान्यता है। इनके भक्तगण देवनारायण मंदिरों में विशेष अनुष्ठान करते हैं और उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा प्रकट करते हैं।
देवनारायण जयंती के अवसर पर प्रमुख आयोजन
देवनारायण जयंती के अवसर पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर भगवान देवनारायण के दर्शन करते हैं और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं।
इस मौके पर विभिन्न स्थानों पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। कुछ स्थानों पर विशेष कथाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें विद्वान पंडित और संत-महात्मा भगवान देवनारायण के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रवचन देते हैं।
देवनारायण जयंती का समाज पर प्रभाव
देवनारायण जयंती केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से समाज में भाईचारे, प्रेम और सहयोग की भावना को बल मिलता है। गुर्जर समाज के साथ-साथ अन्य समुदाय भी इस पर्व में सम्मिलित होकर इसे और भव्य बनाते हैं।
समाज के वरिष्ठ लोग इस अवसर पर युवाओं को भगवान देवनारायण के आदर्शों से परिचित कराते हैं, जिससे वे उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज और देश की उन्नति में योगदान दे सकें।