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तलाक के बाद Alimony के पैसों पर भी देना पड़ता है Tax? जानें क्या हैं नियम

एलिमनी का टैक्सेशन भारत में आपकी वित्तीय योजना को प्रभावित कर सकता है। मासिक एलिमनी टैक्स योग्य है, जबकि एकमुश्त राशि पर टैक्स नहीं लगता। सही कानूनी जानकारी और आयकर नियमों के पालन से आप अनावश्यक वित्तीय समस्याओं से बच सकते हैं।

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तलाक के बाद Alimony के पैसों पर भी देना पड़ता है Tax? जानें क्या हैं नियम
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तलाक का विषय भावनात्मक और आर्थिक रूप से कठिन होता है। तलाक के बाद एलिमनी (गुजारा भत्ता) आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक भूमिका निभाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलिमनी पर टैक्स का असर भी पड़ सकता है? यह समझना जरूरी है कि एलिमनी का टैक्सेशन आपके वित्तीय जीवन को किस तरह प्रभावित करता है। आइए इस विषय को विस्तार से जानें।

Alimony और इसका कानूनी आधार (Alimony Taxable in India)

एलिमनी, जिसे स्पाउस सपोर्ट या मेंटेनेंस भी कहा जाता है, भारत में हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और अन्य कानूनों के तहत निर्धारित होती है। यह आमतौर पर तलाक के बाद पति द्वारा पत्नी को दी जाती है। इसे दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. लंप सम एलिमनी (एकमुश्त भुगतान): एक बार में दी जाने वाली राशि।
  2. मासिक भुगतान: महीने-दर-महीने दी जाने वाली राशि।

टैक्सेशन के नियम

लंप सम एलिमनी

जब एलिमनी एकमुश्त राशि के रूप में दी जाती है, तो इसे कैपिटल रिसीट माना जाता है और यह टैक्स से मुक्त होती है।
कानूनी उदाहरण: दिल्ली हाईकोर्ट ने ACIT बनाम मीनाक्षी खन्ना (34 taxmann.com 297) केस में यह स्पष्ट किया कि यदि मासिक भुगतान के अधिकार को छोड़ा जाता है, तो एकमुश्त एलिमनी टैक्सेबल नहीं होती।

मासिक एलिमनी

मासिक आधार पर दी जाने वाली एलिमनी को रेवेन्यू रिसीट माना जाता है। इसे आयकर अधिनियम के तहत अन्य स्रोतों से आय की श्रेणी में रखा जाता है।
प्राप्तकर्ता पर प्रभाव: मासिक एलिमनी प्राप्त करने वाले को इसे अपनी आयकर रिटर्न में शामिल करना होता है। यह आय वर्ग के अनुसार टैक्स के दायरे में आती है।

संपत्ति के रूप में एलिमनी का टैक्सेशन

तलाक से पहले संपत्ति का हस्तांतरण

यदि संपत्ति तलाक से पहले हस्तांतरित की जाती है, तो इसे आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के तहत कर-मुक्त उपहार माना जाता है।

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तलाक के बाद संपत्ति का हस्तांतरण

तलाक के बाद, चूंकि पति-पत्नी का कानूनी संबंध समाप्त हो जाता है, संपत्ति का हस्तांतरण उपहार नहीं माना जाएगा। इससे टैक्सेशन जटिल हो सकता है।

एलिमनी देने वाले के लिए टैक्स नियम

एलिमनी भुगतान करने वाले व्यक्ति को इस राशि को अपनी कर योग्य आय से कटौती योग्य खर्च के रूप में दिखाने की अनुमति नहीं है।
इसका अर्थ है कि एलिमनी देने वाले को इस पर किसी प्रकार की कर छूट नहीं मिलती।

कानूनी अस्पष्टता और विवाद

भारत में आयकर अधिनियम के तहत एलिमनी के टैक्सेशन को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। यह विषय अदालतों के विभिन्न फैसलों पर निर्भर करता है, जिससे कई बार विवाद उत्पन्न होते हैं।

टैक्स रिटर्न में एलिमनी का सही उल्लेख क्यों जरूरी है?

मासिक एलिमनी प्राप्त करने वाले को इसे अपनी आयकर रिटर्न में सही तरीके से दिखाना चाहिए। ऐसा न करने पर आयकर विभाग द्वारा जुर्माना और ब्याज लगाया जा सकता है। इसलिए, सही दस्तावेजीकरण आवश्यक है।

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