![सरकार की बड़ी तैयारी! 10 हजार स्कूलों को बंद करने का फैसला, जानें क्या है पूरा मामला](https://rcisgbau.in/wp-content/uploads/2025/02/Government-Preparing-To-Close-10-Thousand-Schools-1024x576.jpg)
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक हरजिंदर सिंह द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि सत्र 2025-26 के लिए मान्यता नवीनीकरण (school accreditation renewal) और नवीन मान्यता (new school recognition) के आवेदन की अंतिम तिथि 7 फरवरी 2025 तक ही है। इस निर्णय से राज्य के निजी स्कूल संचालकों में भारी चिंता व्याप्त हो गई है। स्कूल प्रबंधन इस निर्णय में ढील देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि तकनीकी समस्याओं के चलते वे आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
राज्य में निजी स्कूलों की मान्यता को लेकर बढ़ते तनाव से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। स्कूल संचालक सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग अपने नियमों पर कायम है। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई नरमी बरतती है या फिर यह संघर्ष और तेज होगा।
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निजी स्कूल संचालकों का विरोध और संभावित आंदोलन
निजी स्कूल संचालकों ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे मान्यता संबंधी नियमों में आ रही दिक्कतों का हवाला देते हुए आवेदन प्रक्रिया को रोकने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, 4 फरवरी को भाजपा कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की गई है। विरोध की गंभीरता को देखते हुए कुछ स्कूल संचालकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए इच्छामृत्यु की मांग तक कर डाली है।
मान्यता रिन्यूअल में आ रही तकनीकी समस्याएँ
इस वर्ष मान्यता नवीनीकरण प्रक्रिया में कुछ नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें पंजीकृत किरायानामा (registered lease agreement) की अनिवार्यता शामिल है। यह दस्तावेज राजस्व विभाग के संपदा 2.0 पोर्टल (Sampada 2.0 Portal) के माध्यम से बनवाना आवश्यक है, लेकिन तकनीकी खामियों और प्रक्रिया की जटिलता के कारण अधिकांश स्कूल संचालक इसे समय पर नहीं बनवा पाए हैं।
इस तकनीकी परेशानी के चलते कई स्कूलों के आवेदन अटके हुए हैं, जिससे उनकी मान्यता खतरे में पड़ गई है। संचालकों का कहना है कि संपदा 2.0 पोर्टल में अनेक खामियाँ हैं, जिसके कारण वे आवश्यक दस्तावेज प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
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बिना मान्यता के स्कूल संचालन पर सख्ती
राज्य शिक्षा केंद्र ने यह भी साफ कर दिया है कि जो स्कूल 7 फरवरी 2025 तक मान्यता नवीनीकरण या नवीन मान्यता के लिए आवेदन नहीं करेंगे, उनकी मान्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। इसके बाद उन स्कूलों का संचालन अवैध माना जाएगा। इसका सीधा असर स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों पर पड़ेगा, जो उनकी शिक्षा के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा सकता है।
इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि बिना मान्यता (unrecognized schools) के स्कूल संचालन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी जुर्माने के अलावा स्कूल बंद कराने की संभावना भी शामिल है।
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स्कूल संचालकों की मांगें
निजी स्कूल संचालकों ने इस संकट को देखते हुए सरकार के सामने कुछ प्रमुख माँगें रखी हैं:
- मान्यता आवेदन की समय सीमा को बढ़ाया जाए ताकि सभी स्कूल आवश्यक दस्तावेज तैयार कर सकें।
- संपदा 2.0 पोर्टल की तकनीकी समस्याओं को जल्द सुलझाया जाए, जिससे पंजीकृत किरायानामा आसानी से बन सके।
- छोटे और किराये के भवनों में चल रहे स्कूलों को विशेष छूट दी जाए, ताकि वे कानूनी दिक्कतों से बच सकें।
- मान्यता नियमों को सरल बनाया जाए, जिससे ग्रामीण और छोटे स्कूलों को राहत मिल सके।
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शिक्षा व्यवस्था पर संभावित असर
यदि सरकार ने समय रहते इस मुद्दे का हल नहीं निकाला तो इसका प्रभाव राज्य के हजारों विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों पर पड़ेगा। यदि स्कूलों को बंद करना पड़ा, तो छात्रों को नए स्कूलों में स्थानांतरित करना कठिन हो सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ विकल्प सीमित हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और निजी स्कूल संचालकों के बीच संवाद आवश्यक है, ताकि इस मुद्दे का संतुलित समाधान निकाला जा सके और छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।