नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों की जमीन अधिग्रहण (Land Acquisition) को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा अधिग्रहीत की गई जमीन के बदले किसानों को मुआवजा और ब्याज पूर्व की तिथि से ही मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2019 में दिए गए अपने ही एक निर्णय की पुष्टि करता है, जिससे हजारों किसानों को लाभ मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किसानों के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है। इससे पहले जिन किसानों को उनका उचित मुआवजा नहीं मिला था, वे अब पूर्व व्यापी प्रभाव से इसका लाभ उठा सकेंगे। यह निर्णय न्याय और निष्पक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आगे भी भूमि अधिग्रहण मामलों में एक मिसाल कायम करेगा।
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NHAI की याचिका खारिज, किसानों को राहत
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने इस संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की याचिका को खारिज कर दिया। NHAI ने सुप्रीम कोर्ट के 19 सितंबर 2019 के फैसले को केवल भविष्य में लागू करने की मांग की थी, जिससे पहले से तय किए गए मुआवजों को दोबारा खोला न जाए। हालांकि, अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि मुआवजा और ब्याज पूर्व व्यापी प्रभाव (retrospective effect) से ही लागू होगा।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “हमें याचिकाकर्ता (NHAI) की दलीलों में कोई दम नजर नहीं आता। 2019 के तरसेम सिंह मामले में मुआवजा और ब्याज को लाभकारी प्रकृति वाला सिद्धांत माना गया था, और हम इसे दोहराते हैं।”
अदालत ने आगे यह भी कहा कि “कोई भी अन्यायपूर्ण वर्गीकरण, जिसमें विवेकपूर्ण विभेद न हो, उसे समाप्त किया जाना चाहिए।” इस आधार पर अदालत ने स्पष्ट किया कि 2019 के फैसले को केवल भविष्य में लागू करना उचित नहीं होगा।
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तरसेम सिंह मामले का प्रभाव और सुप्रीम कोर्ट का तर्क
2019 के तरसेम सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act) के तहत दिया जाने वाला मुआवजा और ब्याज किसानों को पहले की तिथि से ही मिलना चाहिए।
NHAI की याचिका में यह मांग की गई थी कि इस फैसले को केवल आगे के मामलों में लागू किया जाए, जिससे पहले से अधिग्रहित जमीनों पर दिया गया मुआवजा यथावत रहे और किसानों को अतिरिक्त लाभ न मिले। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नकारते हुए कहा कि ऐसा करना तरसेम सिंह मामले से दी गई राहत को कमजोर कर देगा और किसानों को उनका हक नहीं मिल पाएगा।
फैसले का किसानों पर असर
इस फैसले के बाद, जिन किसानों की जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई थी, वे अब 2019 के फैसले के अनुसार पूर्व व्यापी प्रभाव से मुआवजा और ब्याज प्राप्त कर सकेंगे।
- इससे किसानों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिलेगा, क्योंकि उन्हें अधिग्रहण की पुरानी तारीख से ही ब्याज का भुगतान होगा।
- जिन मामलों में पहले ही मुआवजा दिया जा चुका है, वे भी पुनः खोले जा सकते हैं और किसानों को पुराने समय से लागू ब्याज और अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी।
- यह फैसला अन्य भूमि अधिग्रहण मामलों में भी नजीर (precedent) बनेगा, जिससे आगे के मामलों में किसानों को उनके अधिकारों के लिए मजबूत आधार मिलेगा।
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NHAI की दलील क्यों हुई खारिज?
NHAI ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यदि 2019 के फैसले को पूर्व व्यापी प्रभाव (retroactive effect) से लागू किया गया तो इससे बड़ी संख्या में पुराने मामले फिर से खोले जाएंगे, जिससे सरकार और NHAI पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
हालांकि, अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि किसानों को उनके मुआवजे और ब्याज का पूरा हक मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के अनुसार, जो किसान लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे, उन्हें उनके कानूनी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
क्या होगा अब?
अब इस फैसले के बाद, जिन किसानों की जमीनें NHAI द्वारा अधिग्रहित की गई थीं और जिनका मुआवजा 2019 के फैसले के अनुरूप नहीं दिया गया था, वे अब अपने मुआवजे की पुनः गणना और ब्याज की मांग कर सकते हैं।
NHAI को अब पुराने मामलों में भी पूर्व व्यापी प्रभाव से मुआवजा और ब्याज देना होगा, जिससे हजारों किसानों को राहत मिलेगी।