केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवें वेतन आयोग का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहा है। पिछले महीने सरकार ने इसकी घोषणा की थी और यह उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार 1 जनवरी 2026 से इसे लागू करने की योजना बना रही है। लेकिन शनिवार को पेश केंद्रीय बजट ने कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025 में 8वें वेतन आयोग के लिए कोई बजटीय आवंटन नहीं किया। इसका मतलब साफ है कि 2026 से पहले 8वां वेतन आयोग लागू होने की संभावना कम है।
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदें इस बात पर केंद्रित थीं कि वित्त मंत्री इस बजट में वेतन और पेंशन में संशोधन के लिए एक रोडमैप और आवंटन की घोषणा करेंगी। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। वर्तमान में सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक है, और इस पर उम्मीद की जा रही थी कि 1 जनवरी 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो सकता है। लेकिन सरकार ने इस बजट में इसके लिए कोई योजना नहीं दी, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह प्रावधान 2026-27 के बजट में किया जाएगा।
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क्या है पूर्ण जानकारी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को तैयार करने और अंतिम रूप देने में एक साल का समय लग सकता है। व्यय सचिव मनोज गोविल के हवाले से यह जानकारी मिली है कि 2025-26 के केंद्रीय बजट में 8वें वेतन आयोग से संबंधित किसी भी खर्च का हिसाब नहीं दिया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट को तैयार करने और अनुमोदित होने में कम से कम एक साल का समय लग सकता है। इसके बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।
सरकार ने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से सुझाव मांगे हैं। इन विभागों से मिले इनपुट के आधार पर आयोग का कार्य शुरू होगा। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि 8वें वेतन आयोग के गठन में थोड़ा वक्त लगेगा और इसके लिए 2026-27 का बजट एक उपयुक्त समय हो सकता है।
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पिछला रिकॉर्ड क्या कहता है?
अगर पिछले वेतन आयोगों की प्रक्रिया को देखा जाए तो उनमें भी सिफारिशें देने में अधिक समय लगा था। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में 18 महीने का समय लगा था। ऐसे में यह पूरी तरह से संभव है कि 8वें वेतन आयोग के लिए भी कुछ ऐसा ही समय लगे, और 2025-26 के वित्तीय वर्ष में इसके लागू होने की संभावना कम हो।