मार्जिनल रिलीफ का लाभ उन टैक्सपेयर्स को मिलता है जिनकी इनकम टैक्स छूट की सीमा से थोड़ी ज्यादा है। यह टैक्सपेयर्स के लिए एक राहत का उपाय है, जो टैक्स स्लैब के बीच की सीमा में आते हैं। हालांकि, इस राहत का फायदा केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनकी कुल आय टैक्स छूट की सीमा से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन अगर आय की सीमा काफी अधिक हो, तो मार्जिनल रिलीफ का फायदा नहीं मिलेगा और टैक्स पेयर को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
मार्जिनल रिलीफ का लाभ उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स को मिलेगा जिनकी कुल आय 12.75 लाख रुपये से कम होगी। यदि किसी व्यक्ति की आय इस सीमा के अंदर आती है, तो वह टैक्स छूट की सीमा से ऊपर की अतिरिक्त आय पर मार्जिनल रिलीफ का लाभ उठा सकता है।
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मार्जिनल रिलीफ का क्या है उद्देश्य?
मार्जिनल रिलीफ का मुख्य उद्देश्य टैक्सपेयर्स को तब राहत देना है, जब उनकी आय टैक्स छूट की सीमा के थोड़े ऊपर हो। इस रिलीफ के तहत, एक व्यक्ति अपनी अतिरिक्त आय पर ज्यादा टैक्स देने से बच सकता है, जिससे उन्हें कम टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसका तरीका यह है कि यदि आपकी आय थोड़ी अधिक हो और आप अपने टैक्स स्लैब में बदलाव के कारण अधिक टैक्स देने को मजबूर हो, तो इस रिलीफ के जरिए आपको एक रियायत मिलती है, जिससे टैक्स में थोड़ी कमी हो जाती है।
मार्जिनल रिलीफ का फायदा कैसे मिलता है?
मार्जिनल रिलीफ का फायदा लेने के लिए यह जरूरी है कि आपकी आय टैक्स छूट सीमा के आसपास हो, और अगर थोड़ी सी अधिक हो, तो आप राहत प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी आय 12 लाख रुपये है, तो आपको आयकर स्लैब के आधार पर सामान्य टैक्स चुकाना पड़ेगा। लेकिन अगर आपकी आय 12.5 लाख रुपये तक हो जाती है, तो आपको मार्जिनल रिलीफ का लाभ मिल सकता है, जिससे आपको अधिक टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
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यह रियायत केवल इनकम 12.75 लाख तक ही सीमित क्यों है?
मार्जिनल रिलीफ का लाभ केवल उन्हीं व्यक्तियों को मिलता है जिनकी आय 12.75 लाख रुपये तक है, क्योंकि यह सीमा इस रियायत के कार्यान्वयन के लिए निर्धारित की गई है। यदि किसी की आय इस सीमा से अधिक है, तो उस व्यक्ति को मार्जिनल रिलीफ का फायदा नहीं मिलेगा और उसे अपने टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स चुकाना होगा। यह सीमा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लागू है, और इसे बदलने के लिए सरकार के पास अधिकार हो सकते हैं।
मार्जिनल रिलीफ और टैक्स स्लैब में अंतर
मार्जिनल रिलीफ और सामान्य टैक्स स्लैब में एक महत्वपूर्ण अंतर है। टैक्स स्लैब में आपकी कुल आय के आधार पर टैक्स दर तय होती है। यदि आपकी आय एक निश्चित सीमा के ऊपर जाती है, तो आपकी टैक्स दर भी बढ़ जाती है। वहीं, मार्जिनल रिलीफ का लाभ केवल उन्हीं को मिलता है जो टैक्स छूट सीमा के ऊपर थोड़ी सी आय प्राप्त करते हैं, और इस रिलीफ के कारण उन्हें अतिरिक्त आय पर ज्यादा टैक्स चुकाने से राहत मिलती है।
मार्जिनल रिलीफ का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स का भुगतान करने के बजाय उनकी आय की सीमा के अनुसार ही टैक्स की दर मिल सके।
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इस रिलीफ का क्या असर होता है?
मार्जिनल रिलीफ टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर तब जब उनकी आय टैक्स छूट की सीमा से कुछ ही अधिक हो। इसका मुख्य फायदा यह है कि अतिरिक्त आय पर टैक्स में राहत मिलती है, जिससे टैक्सपेयर्स को वित्तीय रूप से राहत मिलती है। इसका असर छोटे और मध्यम आय वर्ग के लोगों पर अधिक पड़ता है, जो अपनी आय में मामूली वृद्धि के बावजूद अधिक टैक्स का भुगतान करने से बच सकते हैं।
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क्या यह रियायत सभी टैक्सपेयर्स को मिलती है?
नहीं, यह रियायत सभी टैक्सपेयर्स को नहीं मिलती। यह केवल उन्हीं रेजिडेंट इंडिविजुअल्स को मिलती है जिनकी आय 12.75 लाख रुपये तक है। यदि किसी व्यक्ति की आय इस सीमा से अधिक होती है, तो उन्हें यह रियायत नहीं मिलेगी, और वह सामान्य टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करेंगे।