केंद्र सरकार ने देश में शिक्षा की बुनियादी गुणवत्ता में सुधार करने और समग्र विकास को प्रोत्साहन देने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। इसके तहत, देशभर में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित किए जाएंगे। बुधवार, 22 जनवरी को, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के अलप्पुझा में विद्याधिराज विद्यापीतम सैनिक स्कूल के वार्षिक दिवस समारोह के दौरान इस महत्वपूर्ण घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना और विविध क्षेत्रों के छात्रों को नए अवसर प्रदान करना है।
राजनाथ सिंह ने बताया कि ये सैनिक स्कूल देश के हर जिले में स्थापित किए जाएंगे, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों और विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का लाभ मिल सके। यह सरकार के समग्र विकास और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का हिस्सा है।
लड़कियों के लिए भी खुले सैनिक स्कूलों के द्वार
इस पहल का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब लड़कियों को भी सैनिक स्कूलों में दाखिला लेने का अवसर मिलेगा। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अनुशासन, नेतृत्व और समर्पण जैसे गुणों से सशक्त बनाने का अवसर प्रदान करेगी।
हर सैनिक में छिपे होते हैं कई गुण
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सैनिक केवल युद्ध के लिए प्रशिक्षित नहीं होते, बल्कि उनमें अनेक गुण होते हैं। सैनिक अनुशासन, आत्म-नियंत्रण, लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने और निस्वार्थ भाव से सेवा करने की मिसाल पेश करते हैं। ये गुण स्वामी विवेकानंद, आदि शंकराचार्य और राजा रवि वर्मा जैसी महान हस्तियों के जीवन में भी देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये गुण किसी भी समाज के विकास के लिए आवश्यक हैं और नई पीढ़ी को ऐसे गुणों से सुसज्जित करना समय की मांग है।
शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाने की जरूरत
रक्षा मंत्री ने शिक्षा में क्रांति की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य, संचार, उद्योग, परिवहन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है, और इस विकास को गति देने के लिए बच्चों का सर्वांगीण विकास और मजबूत शिक्षा प्रणाली आवश्यक है। सैनिक स्कूलों का विस्तार इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।