लखनऊ में सोलर एनर्जी-Renewable Energy के प्रति जागरूकता और इसे बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1000 वर्ग फीट और इससे बड़े मकानों में सोलर सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जा रहा है। यह कदम न केवल ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि इसे लागू करने में नगर विकास प्राधिकरण (LDA) की अहम भूमिका होगी।
एलडीए द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, अब किसी भी नए मकान का नक्शा तभी पास किया जाएगा जब मकान मालिक शपथ पत्र के जरिए यह आश्वासन देगा कि वह मकान निर्माण के बाद सोलर सिस्टम जरूर लगाएगा। अगर यह नियम लागू होने के बाद भी सोलर सिस्टम नहीं लगाया जाता है, तो मकान को अवैध घोषित कर दिया जाएगा और कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा।
लखनऊ में सोलर सिस्टम के लिए नए नियम
इस प्रस्ताव के तहत 1000 वर्ग फीट या उससे बड़े मकानों में 1 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। अब तक लखनऊ के बिल्डिंग बाइलॉज में सोलर पैनल लगाने का कोई प्रावधान नहीं था। केवल बड़े कमर्शियल प्लॉट्स पर सोलर हीटर लगाना आवश्यक था। नए नियमों के तहत यह प्रावधान आवासीय मकानों पर भी लागू होगा।
एलडीए द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को 4 दिसंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। इसके पास होने के बाद इसे बिल्डिंग बाइलॉज में संशोधित किया जाएगा, जिससे यह नियम औपचारिक रूप से लागू हो सके।
जमानत राशि की नई व्यवस्था
सोलर सिस्टम की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए एलडीए ने जमानत राशि का प्रावधान किया है। मकान के नक्शे को पास कराने के लिए विभिन्न प्लॉट साइज के अनुसार जमानत राशि ली जाएगी।
- 200-500 वर्ग मीटर प्लॉट: ₹20,000
- 500-1000 वर्ग मीटर प्लॉट: ₹50,000
- 1000-5000 वर्ग मीटर प्लॉट: ₹1,00,000
- 5000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंड: ₹2,00,000
सोलर सिस्टम लगाने के बाद यह राशि वापस कर दी जाएगी।
रेसिडेंशियल प्लॉट्स में नॉन-रेसिडेंशियल उपयोग की अनुमति
एलडीए के नियोजित कॉलोनियों में रेसिडेंशियल प्लॉट्स पर छोटे कार्यालय और दुकानों को खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा गया है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
लखनऊ की हरित ऊर्जा पहल
एलडीए सचिव विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि यह कदम लखनऊ को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बढ़ाया गया है। बोर्ड बैठक में पारित होने के बाद यह नियम लागू किया जाएगा। यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ऊर्जा की बचत और लागत में कमी लाने में भी मदद करेगा।