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पूरे देश में पड़ेगा सीधा असर, SC लिस्ट से हटाया जाएगा इन जातियों का नाम, Scheduled Caste list

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति सूची से तीन जातियों के नाम हटाने का प्रस्ताव दिया है। इसका उद्देश्य सामाजिक तनाव को कम करना और अनुसूचित जातियों के सम्मान को बढ़ावा देना है। यह बदलाव केंद्र के अनुमोदन के बाद पूरे देश में लागू होगा।

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पूरे देश में पड़ेगा सीधा असर, SC लिस्ट से हटाया जाएगा इन जातियों का नाम, Scheduled Caste list
Scheduled Caste list

Scheduled Caste list: हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) सूची में बदलाव के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार को तीन जातियों के नाम हटाने का प्रस्ताव भेजा है। इन नामों को वर्तमान में आपत्तिजनक और अप्रासंगिक मानते हुए हटाने की मांग की गई है। इस निर्णय का उद्देश्य सामाजिक तनाव को कम करना और अनुसूचित जातियों के सम्मान को बढ़ावा देना है।

अनुसूचित जाति सूची में बदलाव का अधिकार केवल केंद्र के पास

अनुसूचित जाति और जनजाति सूची में बदलाव का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। इसके लिए संसद में कानून संशोधन करना आवश्यक होता है। हरियाणा सरकार ने केंद्र को इस मुद्दे पर विचार करने और आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह बदलाव पूरे देश में लागू होगा।

किन तीन जातियों को हटाने का प्रस्ताव?

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति सूची से तीन जातियों को हटाने का प्रस्ताव दिया है। ये नाम पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े हुए हैं, लेकिन वर्तमान समय में इन्हें नकारात्मक और अपमानजनक संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है। सरकार का मानना है कि इन नामों का उपयोग समाज में भेदभाव और तनाव को बढ़ावा देता है।

सामाजिक तनाव को कम करने का प्रयास

हरियाणा सरकार ने इस पहल के पीछे तर्क दिया है कि इन जातिगत नामों का उपयोग अक्सर जातिगत पूर्वाग्रह और सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देता है। ऐसे नामों को अपमानजनक संदर्भ में इस्तेमाल करने से समाज में वर्गीय विभाजन और तनाव बढ़ता है।

2013 में भी उठाई गई थी मांग

यह मांग नई नहीं है। 2013 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी केंद्र को इसी तरह का प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, उस समय इसे लागू नहीं किया गया। वर्तमान सरकार ने इसे पुनः उठाकर केंद्र से सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद जताई है।

1950 के कानून में संशोधन का अनुरोध

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम, 1950 में संशोधन का अनुरोध किया है। यह अधिनियम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची को तैयार और संशोधित करने का अधिकार प्रदान करता है। सरकार का मानना है कि इस कानून में संशोधन से समाज में एक सकारात्मक बदलाव आएगा।

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पारंपरिक व्यवसाय और सामाजिक पूर्वाग्रह

सरकार ने अपने प्रस्ताव में यह भी बताया है कि इन जातिगत नामों की जड़ें सामाजिक समूहों के पारंपरिक व्यवसायों में हैं। समय के साथ, इनका उपयोग नकारात्मक और अपमानजनक संदर्भ में होने लगा है। इससे जातिगत भेदभाव और पूर्वाग्रह बढ़ा है।

सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में कदम

यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे अनुसूचित जातियों के सम्मान को बढ़ावा मिलेगा और समाज में समरसता स्थापित करने में मदद मिलेगी। हरियाणा सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल कानून से ही नहीं, बल्कि समाज में मानसिकता बदलने से ही असली बदलाव आएगा।

जातिगत भेदभाव से निपटने के लिए कड़े कानून

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का हवाला देते हुए कहा कि यह अधिनियम जातिगत भेदभाव के मामलों में सख्त प्रावधान करता है। हालांकि, सरकार का मानना है कि सामाजिक पूर्वाग्रह को खत्म करने के लिए सूची में बदलाव आवश्यक है।

केंद्र की जिम्मेदारी

अब यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस प्रस्ताव पर विचार करे और इसे संसद में प्रस्तुत करे। यदि इस बदलाव को मंजूरी दी जाती है, तो यह न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के लिए लागू होगा।

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