भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्तियों से जुड़े मामले ने नया मोड़ ले लिया है। सैफ अली खान के परिवार की 15,000 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति अब सरकारी कब्जे में जा सकती है। इस संपत्ति में भोपाल के कोहेफिज़ा से लेकर चिकलोद तक फैली ज़मीन और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। 2015 से चल रहे इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश और सरकार की पहल के बाद संपत्ति विवाद चर्चा का केंद्र बन गया है।
पटौदी परिवार और शत्रु संपत्ति विवाद की पृष्ठभूमि
साल 2015 में पटौदी परिवार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत याचिका दायर कर भोपाल रियासत की संपत्तियों पर सरकार के नियंत्रण को चुनौती दी थी। भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक (CEPI) ने नवाब की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया था, क्योंकि नवाब की बड़ी बेटी राजकुमारी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं। इसके बाद, नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया गया, और पटौदी परिवार उनके वंशज के रूप में संपत्ति का दावा कर रहा है।
हाईकोर्ट का निर्णय और उसके प्रभाव
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों को अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष पक्ष रखने का आदेश दिया था। 30 दिन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, और पटौदी परिवार ने अब तक कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया है।
हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने पिछले महीने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने कहा कि अपीलीय प्राधिकरण गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेगा।
संपत्ति विवाद के मुख्य बिंदु
पटौदी परिवार की 100 एकड़ ज़मीन पर डेढ़ लाख लोग रह रहे हैं। यह संपत्ति न केवल मूल्यवान है, बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत इसे सरकारी कब्जे में लिया जा सकता है।
सरकार का दावा है कि संपत्ति का स्वामित्व नवाब की बेटी आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान चले जाने के कारण बदल गया, जबकि पटौदी परिवार इसे भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत अपना मानता है।
आगे का रास्ता
पटौदी परिवार के पास अब डिवीजन बेंच में चुनौती देने का विकल्प है। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो यह संपत्ति पूरी तरह से सरकारी अधिकार क्षेत्र में आ जाएगी। सरकार के इस कदम से न केवल कानूनी दावों की समीक्षा होगी, बल्कि अन्य शत्रु संपत्ति मामलों पर भी इसका असर पड़ सकता है।