भारत में सड़क परिवहन और हाईवे का तेजी से विस्तार हो रहा है। देशभर में कुल 1,46,145 किमी के नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे का नेटवर्क तैयार हो चुका है, जो शहरों और राज्यों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लेकिन हाईवे और एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान जमीन अधिग्रहण से जुड़े मुद्दे किसानों के लिए कई बार परेशानी का कारण बन जाते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि जमीन अधिग्रहित कर ली जाती है, लेकिन परियोजना का अलाइनमेंट (Alignment) बदल जाने के कारण वह जमीन बेकार पड़ी रहती है। इस समस्या को दूर करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक नई नीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत ऐसी जमीन किसानों को वापस दी जाएगी।
किसानों के लिए जमीन वापसी की शर्तें
मंत्रालय के अनुसार, जमीन वापस उसी स्थिति में दी जाएगी, जब उस पर कोई निर्माण नहीं हुआ हो और भविष्य में भी किसी निर्माण की योजना न हो। ऐसी स्थिति में किसानों को वह जमीन वापस मिल सकती है। इसके अलावा, जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिला है, उनके लिए यह नीति विशेष रूप से लाभकारी होगी।
इस नीति के लागू होने से किसानों को उनकी बेकार पड़ी जमीन का अधिकार मिल सकेगा, जो उन्हें कृषि या अन्य उपयोगों के लिए फिर से उपयोगी बनाएगी।
नए एक्सप्रेसवे का निर्माण और प्रगति
देश में हाईवे और एक्सप्रेसवे का विस्तार तेजी से हो रहा है। इस साल तीन बड़े एक्सप्रेसवे पूरे हो जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (1386 किमी.)
- अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे (109 किमी.)
- बेंगलुरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे (262 किमी.)
इसके अलावा, लखनऊ-कानपुर (63 किमी.) और दिल्ली-अमृतसर-कटरा (669 किमी.) एक्सप्रेसवे 2026 तक तैयार हो जाएंगे। इन सभी परियोजनाओं की कुल लंबाई 2489 किमी है, जो भारत के सड़क नेटवर्क को और अधिक मजबूत बनाएगी।