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सरपंचों की बल्ले-बल्ले, चुनाव टलने से सरपंचों को हुआ फायदा

"राजस्थान में 6759 सरपंचों को प्रशासक बनाए जाने का फैसला पंचायत प्रशासन और विकास कार्यों को स्थिरता देने वाला कदम है। पंचायत चुनावों में देरी की स्थिति में यह निर्णय ग्राम पंचायतों में नेतृत्व और विकास सुनिश्चित करेगा।"

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सरपंचों की बल्ले-बल्ले, चुनाव टलने से सरपंचों को हुआ फायदा
सरपंचों की बल्ले-बल्ले

जयपुर: राजस्थान के 6759 सरपंचों के लिए बड़ा अवसर आया है। जनवरी 2025 में अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले सरपंच अब आगामी पंचायत चुनाव होने तक ग्राम पंचायत के प्रशासक बने रहेंगे। राज्य सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह फैसला तब लिया गया है जब सरकार ने सभी पंचायती राज चुनाव एक साथ कराने की योजना बनाई है।

सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने के इस कदम से ग्राम पंचायतों में स्थिरता बनी रहेगी, जबकि विकास कार्यों की रफ्तार भी जारी रहेगी। प्रशासक के रूप में सरपंच अब पंचायत का नेतृत्व करते रहेंगे और उनकी सहायता के लिए समितियों का गठन किया गया है।

प्रशासक के रूप में सरपंचों का दायित्व

सरपंचों को प्रशासक बनाने के साथ ही उनके सहयोग के लिए पांच सदस्यीय समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों में उप सरपंच और वार्ड पंच शामिल होंगे, जो पंचायत के विकास कार्यों के लिए सिफारिश करेंगे। यह नया तंत्र सुनिश्चित करेगा कि पंचायतों का प्रशासनिक और विकासात्मक कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।

प्रदेश की कुल 11,000 ग्राम पंचायतों में से 6759 का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो रहा है। इसके अलावा, 704 पंचायतों का कार्यकाल मार्च 2025 में और 3847 पंचायतों का कार्यकाल इस साल सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होगा। इन पंचायतों में भी प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।

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सरपंचों की मांग और सरकार का निर्णय

सरकार के इस फैसले से पहले, ग्राम पंचायतों में कार्यकाल समाप्त होने पर सरकारी अधिकारियों या ग्राम विकास अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया जाता था। इस बार, सरकार ने सरपंचों की मांग को स्वीकार करते हुए उन्हें प्रशासक का अधिकार सौंपा है। सरपंचों ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है।

पुनर्गठन और चुनाव की अनिश्चितता

फिलहाल पंचायत चुनावों की कोई निश्चित तिथि तय नहीं की गई है। कई ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है, जो चुनाव में देरी का कारण बन सकती है। इस स्थिति में, प्रशासक के रूप में सरपंचों की भूमिका लंबे समय तक बनी रह सकती है।

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