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खेती की जमीन बेचने पर कितना देना होगा टैक्स? 90% किसान इस बारे में नहीं जानते

इस लेख में हमने कृषि भूमि के कानूनी प्रावधानों और टैक्स नियमों पर चर्चा की। शहरी क्षेत्रों में आने वाली भूमि पर टैक्स का बोझ बढ़ सकता है, जबकि ग्रामीण भूमि कर-मुक्त रहती है। यह जानकारी किसानों को उनकी भूमि की सही पहचान और प्रबंधन में मदद करेगी।

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खेती की जमीन बेचने पर कितना देना होगा टैक्स? 90% किसान इस बारे में नहीं जानते
खेती की जमीन

कृषि भूमि भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था का आधार है। विशेष रूप से, जब यह पैतृक संपत्ति के रूप में हो, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आपकी कृषि भूमि शहरी या म्युनिसिपल क्षेत्र के अंतर्गत आती है, तो उसकी कृषि भूमि के रूप में मान्यता समाप्त हो सकती है? इससे आपको टैक्स देने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस लेख में हम कृषि भूमि, टैक्स और संबंधित कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

कृषि भूमि की पहचान

अक्सर लोग मानते हैं कि खेती के लिए उपयोग में लाई जाने वाली भूमि स्वतः कृषि भूमि मानी जाती है, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। भारत में कृषि भूमि की पहचान उसके स्थान और उपयोग के आधार पर की जाती है।

  1. यदि भूमि शहरी इलाकों या म्युनिसिपल/कैंटोनमेंट क्षेत्र के भीतर है, तो उसे कृषि भूमि नहीं माना जाएगा।
  2. यदि म्युनिसिपल क्षेत्र की आबादी 10 लाख से अधिक है, तो इसके 8 किलोमीटर के भीतर की भूमि कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी।
  3. इसी प्रकार, 1 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र के 6 किलोमीटर के दायरे में स्थित भूमि पर भी यही नियम लागू होते हैं।

कैपिटल गेन टैक्स और कृषि भूमि

यदि आपकी भूमि कृषि भूमि मानी जाती है, तो उसकी बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) नहीं देना होगा। परंतु शहरी क्षेत्रों की कृषि भूमि को “कैपिटल एसेट” माना जाता है।

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  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स: यदि भूमि 24 महीने से अधिक समय तक रखी गई है, तो यह टैक्स लागू होगा। इसमें इंडेक्सेशन लाभ मिलता है, जिससे टैक्स का बोझ कम हो सकता है।
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स: यदि भूमि 24 महीने से कम समय में बेची जाती है, तो इस पर टैक्स आपकी आयकर स्लैब के अनुसार लगेगा।

कृषि भूमि पर टैक्स नियम

कृषि भूमि पर टैक्स तभी लगता है, जब उसे कृषि योग्य भूमि के रूप में कानूनी मान्यता नहीं होती। यदि भूमि म्युनिसिपल या शहरी क्षेत्र में आती है, तो उसकी बिक्री पर टैक्स देना आवश्यक होगा।

  • शहरी कृषि भूमि: इसे “कैपिटल एसेट” माना जाता है, और इसकी बिक्री पर मुनाफे के आधार पर टैक्स लगाया जाता है।
  • ग्रामीण कृषि भूमि: इसे कैपिटल एसेट नहीं माना जाता, इसलिए इसकी बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगता।

बिक्री के समय आयकर का निर्धारण

भूमि की बिक्री के समय आयकर का निर्धारण निम्नलिखित कारकों पर आधारित होता है:

  1. भूमि का प्रकार: यदि भूमि शहरी क्षेत्र में है, तो टैक्स नियम लागू होंगे।
  2. आय की सीमा: आपकी वार्षिक आय के आधार पर टैक्स की दर तय की जाती है।

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