दिल्ली मेट्रो दिल्ली-एनसीआर के लाखों यात्रियों की लाइफलाइन है। रोजाना लाखों लोग मेट्रो का उपयोग करते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में मेट्रो में कई असुरक्षित घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें गेट रोकने के प्रयास से जुड़ी घटनाएं सबसे अधिक चिंताजनक हैं। हाल ही में, एक महिला की साड़ी गेट में फंसने के कारण उसकी मृत्यु हो गई, जिसने मेट्रो सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए। इस घटना के बाद, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने यात्रियों के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं।
मेट्रो गेट रोकने पर क्या हैं कानून?
दिल्ली मेट्रो में गेट बंद होने से रोकना न केवल यात्रियों के लिए खतरनाक है, बल्कि यह DMRC के नियमों के भी खिलाफ है। DMRC के मुताबिक, मेट्रो गेट रोकने की घटना को मेट्रो रेलवे ऑपरेशन एंड मेंटिनेंस एक्ट, 2002 की धारा 67 के तहत अपराध माना जाता है। इस कानून के अनुसार, गेट रोकने वाले व्यक्ति को 4 साल तक की जेल और ₹10,000 तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। गंभीर मामलों में यह सजा और जुर्माना दोनों लागू हो सकते हैं।
यात्रियों की लापरवाही बन रही है समस्या
अक्सर देखा जाता है कि यात्री किसी को मेट्रो में चढ़ाने के लिए या खुद जल्दी में होने पर अपने पैर से गेट रोकने की कोशिश करते हैं। यह न केवल उनके लिए बल्कि अन्य यात्रियों के लिए भी खतरनाक है। गेट रोकने से न केवल मेट्रो का संचालन प्रभावित होता है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।
रील्स के लिए नियम तोड़ने का ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर रील बनाने के ट्रेंड ने मेट्रो सुरक्षा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। वायरल होने के चक्कर में लोग मेट्रो के नियमों को तोड़ने में भी पीछे नहीं हटते। DMRC के अनुसार, ऐसे मामलों में भी रेलवे एक्ट, 2002 की धारा 67 के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड न केवल सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि यह दूसरों के लिए असुविधा और खतरे का कारण बनता है।