1 सितंबर 2024 से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नई गाइडलाइंस लागू हो गई हैं, जो बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा लोन अकाउंट्स पर Penalty Charges और Penal Interest लगाने के नियमों को नियंत्रित करेंगी। इस कदम का उद्देश्य ग्राहकों को राहत प्रदान करना और वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह दिशा-निर्देश वित्तीय संस्थानों द्वारा अनुचित शुल्क वसूली की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
नियम का उद्देश्य
इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोन भुगतान में चूक की स्थिति में ग्राहकों पर सिर्फ ‘उचित’ चार्ज लगाया जाए। बैंक या NBFCs अब डिफॉल्टर्स से मनमानी पेनल्टी वसूलने में सक्षम नहीं होंगे। आरबीआई का यह प्रयास वित्तीय प्रणाली को अधिक अनुशासित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है ‘उचित’ डिफॉल्ट चार्ज?
नई गाइडलाइंस के तहत, ‘उचित’ डिफॉल्ट चार्ज का मतलब यह है कि ग्राहक से केवल चूकी गई राशि पर ही चार्ज वसूला जाएगा। यह चार्ज किसी भी स्थिति में मूलधन या अन्य राशि पर लागू नहीं होगा। 18 अगस्त 2023 को पेश किए गए संशोधनों के आधार पर इन गाइडलाइंस को अप्रैल 2024 तक लागू करने की समय सीमा दी गई थी।
पेनल्टी चार्ज की सीमाएं
आरबीआई ने पेनल्टी चार्ज की सीमा और गणना को भी स्पष्ट कर दिया है। अब बैंक और NBFCs किसी भी स्थिति में अनुचित शुल्क नहीं लगा सकते। यह नियम बैंकों द्वारा लोन अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन पर लगाए जाने वाले मनमाने दंडात्मक शुल्कों को नियंत्रित करेगा।
जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों के लिए सख्त नियम
हालांकि, यह गाइडलाइंस जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के लिए राहत प्रदान नहीं करती। ऐसे मामलों में, भारतीय बैंक संघ (IBA) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा लिमिटेड (NESL) एक डिजिटल सिस्टम पर काम कर रहे हैं, जिससे डिफॉल्टर की पहचान जल्दी हो सके और कार्रवाई तेज हो।
बड़े लोन में डिफॉल्ट का मुद्दा
NESL के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 10 से 100 करोड़ रुपये तक के लोन में डिफॉल्ट की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। यह नई गाइडलाइंस इस समस्या को हल करने में सहायक साबित होंगी। अब बैंकों को डिफॉल्टर को चिन्हित करने और कार्रवाई करने में अधिक समय नहीं लगेगा, जिससे वित्तीय संस्थानों को राहत मिलेगी।
लोन लेने वालों के लिए सुझाव
ग्राहकों को लोन लेने और उसका भुगतान करने में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- समय पर EMI का भुगतान सुनिश्चित करें।
- आर्थिक कठिनाई की स्थिति में तुरंत बैंक से संपर्क करें।
- लोन अनुबंध की सभी शर्तों को अच्छी तरह समझें।
- जरूरत से अधिक लोन लेने से बचें।