आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पेंशनभोगियों की याचिका पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला, जिसमें पेंशन कम्युटेशन की रिकवरी को लेकर लंबे समय से चली आ रही प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि 11 वर्ष 3 महीने के बाद कम्युटेशन (Commutation) की कटौती तत्काल प्रभाव से बंद की जाए। यह फैसला पेंशनभोगियों के लिए राहत और वित्तीय स्थिरता लाने वाला साबित हुआ।
पेंशन कम्युटेशन
पेंशन का कम्युटेशन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी अपनी पेंशन का 40% हिस्सा एकमुश्त राशि के रूप में ले सकते हैं। इसके बदले, उनकी मासिक पेंशन में कटौती की जाती है। यह कटौती 15 वर्षों तक जारी रहती थी। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि कम्युटेशन की रिकवरी 11 वर्ष 3 महीने में ही पूरी हो जाती है। इस अवधि के बाद भी कटौती जारी रहने से पेंशनभोगियों को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ता था।
सरकार की प्रतिक्रिया और आदेश का क्रियान्वयन
हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, आंध्र प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर 2024 को एक ज्ञापन (Memo No.FIN01-HROMISC/170/2024-HR-III) जारी किया। इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि 11 वर्ष 3 महीने पूरे होने के बाद पेंशन से कम्युटेशन की कटौती तुरंत बंद कर दी जाए।
सरकार ने सभी जिला कोषागार, लेखा अधिकारियों (DT&AOs) और CRT के सहायक कोषागार अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 31 अक्टूबर 2024 तक जिन पेंशनभोगियों की रिकवरी पूरी हो चुकी है, उनकी पेंशन से कोई कटौती न की जाए।
आदेश का कार्यान्वयन और इसके प्रभाव
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया और इसे अगले आदेश तक प्रभावी रखा गया। इसके परिणामस्वरूप:
- पेंशनभोगियों की मासिक पेंशन में वृद्धि हुई।
- गैर-आवश्यक कटौती से उन्हें राहत मिली।
- पेंशनभोगियों की वित्तीय स्थिरता में सुधार हुआ, जिससे उनकी जीवनशैली बेहतर बनी।
पेंशनभोगियों के लिए यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला पेंशनभोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला है। कम्युटेशन की अतिरिक्त रिकवरी समाप्त होने से वे अपनी पूर्ण पेंशन का लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा, यह न्यायालय द्वारा समानता और न्याय के सिद्धांत को मजबूत करता है।